संपीडि़त प्राकृतिक गैस (सीएनजी) का इस्तेमाल बढऩे, पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग की वजह से पेट्रोल और डीजल की मांग वृद्घि पर जबरदस्त प्रभाव पडऩे जा रहा है।
क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक चालू दशक में पेट्रोल और डीजल की कुल मांग वृद्घि घटकर सालाना 1.5 फीसदी रहने की संभावना है जबकि पिछले दशक में यह वृद्घि 4.9 फीसदी सालाना रही थी।
रेटिंग एजेंसी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘इस रुझान को नीतिगत हस्तक्षेपों से भी दम मिलेगा क्योंकि भारत ने 2070 तक शून्य उत्र्सजन के स्तर पर पहुंचने का लक्ष्य बनाया है। इससे सबक लेते हुए तेल रिफाइनिंग कंपनियां पेट्रोकेमिकल जैसे विकल्पों को लेकर अपने उत्पादन मिश्रण में बदलाव करेंगी। इससे उनकी लाभप्रदता भी बढऩी चाहिए।’
क्रिसिल ने कहा कि उनके विश्लेषण से पता चलता है कि उत्सर्जन को नियंत्रित करने की सरकारी पहलों से इस दशक में परिवहन क्षेत्र में तीन बड़े मोर्चों पर असर पड़ेगा।
क्रिसिल ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 तक आक्रामक तरीके से सीएनजी और एथनॉल मिश्रण को अपनाने से पेट्रोल की मांग में वृद्घि को घटाने में मदद मिलेगी। उसके बाद इसकी मांग में और कमी आएगी क्योंकि सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।’
इन पहलों से आने वाले वर्षों में डीजल और पेट्रोल की बिक्री में भारी कमी आएगी।
क्रिसिल ने कहा, ‘डीजल खपत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 के बीच करीब 4 फीसदी चक्रवृद्घि सालाना वृद्घि (सीएजीआर) से बढ़ेगी लेकिन वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच सीएनजी वाहनों की संख्या में इजाफा होने के कारण करीब 2.5 फीसदी की कमी आएगी। सबसे बड़ी गिरावट पेट्रोल की बिक्री में नजर आएगी। पेट्रोल की खपत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 के बीच 2 फीसदी सीएजीआर से बढ़ेगी और वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच यह वृद्घि घटकर 1 फीसदी सीएजीआर की रह जाएगी।’
तेल रिफाइनिंग कंपनियों की संभावानओं पर क्रिसिल ने कहा, ‘रिफाइनिंग कंपनियों ने प्रति वर्ष 4 से 6 करोड़ टन क्षमता वृद्घि की योजना बनाई हुई है। इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2030 तक करीब 11 करोड़ टन की वृद्घि हो जाएगी। तब हो सकता है इसकी जरूरत नहीं रहने के कारण इसकी कटौती करने की जरूरत पड़े।’
वित्त वर्ष वर्ष 2021-22 और 2024-25 के बीच एथनॉल के बिना पेट्रोल की मांग महज 2 फीसदी की दर से बढऩे की उम्मीद है। अगले तीन वर्षों में घरेलू बिक्रियों में 2.8 से 3 करोड़ टन की कमी आने की उम्मीद है।
क्रिसिल ने कहा, ‘पेट्रोल की खपत में 1.6 से 1.8 करोड़ टन की कमी एथनॉल मिश्रण, 90 लाख से 1.1 करोड़ टन की कमी सीएनजी और 10 से 20 लाख टन की कमी इलेक्ट्रिक वाहनों के कारण आएगी।’
