दो साल पहले चीन के हाथों दुनिया के सबसे बड़े चाय उत्पादक की हैसियत गंवाने के बाद अब भारत को निर्यात बाजार में भी कड़ी चुनौती मिल रही है।
घरेलू खपत के लगातार बढ़ते रहने से चाय के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की निर्यात हिस्सेदारी श्रीलंका और केन्या जैसे देशों के मुकाबले लगातार कम होती जा रही है।
वेस्टर्न टी डीलर्स एसोसियशन (डब्ल्यूआईटीडीए) ने अपने एक बयान में कहा है कि विश्व में काली चाय का सबसे बड़ा उत्पादक भारत अब श्रीलंका और केन्या जैसे दूसरे निर्यातकों के हाथों अपनी हिस्सेदारी गंवा रहा है।
1998 में देश से जहां 20 करोड़ चाय का निर्यात हो रहा था वहीं 2005 में यह घटकर केवल 15.7 करोड़ किलोग्राम रह गया है। अनुमान है कि इस साल भी चाय निर्यात बाजार में देश की स्थिति इसी तरह बरकरार रहेगी। डब्ल्यूआईटीडीए के चेयरमैन और बाघ-बकरी समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीयूष देसाई के मुताबिक, जहां तक चाय-निर्यात की बात है, हम श्रीलंका और केन्या के हाथों अपना बाजार खोते जा रहे हैं।
अब पाकिस्तान का ही उदाहरण लें तो जो देश अभी तक सीधे भारत से ही चाय की खरीद कर रहा था वह अब श्रीलंका से अपनी जरूरत की चाय मंगा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह देश यूरोप में भी अपनी बाजार हिस्सेदारी को खोता जा रहा है। रूस को ही लें तो इस देश में चाय का होने वाला निर्यात 1990 में 10 करोड़ किलो था जो 2007 में घटकर केवल 3 से 3.5 करोड़ किलो रह गया है।
1998 में देश में चाय का कुल उत्पादन 87.4 करोड़ टन था। इसमें से 65 करोड़ किलो का देश के अंदर ही उपभोग हो जाता था। इस तरह तब चाय का निर्यात 21 करोड़ किलो हो जाता था। 1998 के बाद से 2007 के बीच चाय के कुल उत्पादन में बढ़ोतरी हुई और यह 94.5 करोड़ किलो तक पहुंच चुका है। यही नहीं देश में होने वाले चाय की खपत में भी काफी बढ़ोतरी हुई है और यह 81 करोड़ किलो तक पहुंच चुका है।
उपभोग बढ़ने का असर यह हुआ है कि चाय के कुल उत्पादन में वृद्धि होने के बावजूद इसके निर्यात में कमी आयी और यह घटकर 15.7 करोड़ किलो रह गया है। देश के चाय बोर्ड के अनुसार, इस साल चाय का निर्यात पिछले साल की ही तरह रहने का अनुमान है। गुजरात टी प्रोसेसर्स ऐंड पैकर्स लिमिटेड के अध्यक्ष (चाय) आदर्श चोपड़ा के अनुसार, भारत का हाल दूसरे प्रतिद्वंद्वी देशों से अलग है। श्रीलंका और केन्या जैसे देशों में घरेलू स्तर पर चाय की खपत काफी कम है जबकि भारत में यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाय का उत्पादन जहां 2.9 फीसदी की दर से बढ़ रहा है वहीं इसका उपभोग 3 फीसदी सालाना के हिसाब से बढ़ रहा है। पर भारत में 2.9 फीसदी की दर से चाय का उपभोग बढ़ रहा है जबकि यहां इसके उत्पादन में सालाना महज 1.58 फीसदी की ही तेजी आ रही है। घरेलू खपत बढ़ने से कई चाय कंपनियों ने अपनी निगाहें घरेलू बाजार पर लगा दी हैं।