पारंपरिक रूप से भारत के गहने और आभूषण का सबसे बड़ा आयातक रहा अमेरिका इन दिनों चीनी ड्रैगन के आगे समर्पण कर चुका है।
दुनिया की सबसे बड़ी इस अर्थव्यवस्था में चल रही मंदी का प्रभाव इनके उपभोक्ताओं पर पड़ा है और उनकी क्रयशक्ति या तो स्थिर या फिर कम हो गई है। इसका असर यह हुआ कि हिंदुस्तानी उत्पादकों और निर्यातकों को वहां निर्यात होने वाले गहने-जेवरों में सोने और हीरे की शुद्धता घटानी पड़ी, ताकि कीमत को पहले के ही स्तर पर बनाए रखा जाए। पर चीन की बात ही कुछ और है।
यहां की अर्थव्यवस्था के 10 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ने के चलते इनके उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति में मजबूती आई है, जिससे यहां गहने और जेवर की खपत में बढोतरी हुई है। भारत में परिष्कृत हीरे की बात करें तो इसका कारोबार 68 फीसदी है जबकि सोने के गहने का 27 फीसदी, अपरिष्कृत हीरे का 3 फीसदी और रत्न का 1 फीसदी है।
भारत से अमेरिका को होने वाले जूलरी का निर्यात साल 2007-08 में 9 फीसदी घटा है। पिछले साल यह जहां 35 फीसदी था, वहीं इस साल महज 26 फीसदी ही निर्यात रहा। पर हांगकांग को होने वाले निर्यात की स्थिति ही कुछ और है। पिछले साल के 15 फीसदी से बढ़कर इस साल यह 26 फीसदी पर पहुंच गया है। हांगकांग को हुए निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि की वजह कुछ और नहीं चीनी बाजार है, जहां जूलरी की खपत आश्चर्यजनक रूप में बढ़ी है।
रत्न और आभूषण निर्यात और संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष संजय कोठारी अमेरिका को हुए निर्यात में जोरदार गिरावट की वजह गिनाते हुए बताया कि सोने के मूल्य में हुई रिकॉर्ड बढाेतरी, कई दूसरी मुद्राओं की तुलना में डॉलर में आयी रिकॉर्ड गिरावट, अमेरिका की आर्थिक मंदी और अपरिष्कृत हीरे की कीमत में हुई जबरदस्त बढाेतरी जैसी कई चीजों से ऐसा हुआ है। इसके अतिरिक्त सामान्य प्राथमिकता प्रणाली (जीएसपी) जिसके तहत जूलरी का डयूटी फ्री निर्यात संभव होता था, के हटा लेने से भी निर्यात में कमी आई है।
मालूम हो कि यह सुविधा 1 जुलाई 2007 से वापस ले ली गई है। कोठारी के मुताबिक जहां भी महिलाएं हैं, वहां गहने और जेवर की खपत होगी ही और चीन भी इस मामले में कोई अपवाद नहीं है।
चीनी बाजार में दिख रही इसी संभावनाओं के मद्देनजर भारत के कई जूलरी उत्पादकों मसलन सुआशीष डायमंड्स, गीतांजली जेम्स और श्रेनुज एंड कंपनी ने वहां बड़े निवेश की घोषणा की है। साल 2007-08 की बात करें तो देश का कुल जूलरी निर्यात 22.27 फीसदी बढ़कर 84,058 करोड़ रुपये का हो गया। जबकि पिछले साल यह निर्यात केवल 77,100 करोड रुपये ही था।
रत्न और आभूषण सेक्टर से होने वाले निर्यात की बात करें तो इस सेक्टर की हिस्सेदारी कुल निर्यात में 13.41 फीसदी की है। जूलरी में सबसे बडा हिस्सा रखनेवाला परिष्कृत हीरे का कारोबार इस दौरान 49,156 करोड़ रुपये से बढ़कर 57,061 करोड़ रुपये हो गया। फिलहाल यह कुल जूलरी कारोबार का 68 फीसदी है। हांगकांग इन परिष्कृत हीरों का सबसे बडा आयातक बन कर उभर रहा है।
फिलहाल यहां भारत के कुल परिष्कृत हीरे का 35 फीसदी हिस्सा निर्यात हो रहा है। इसके थोडा ही पीछे अमेरिका है, जहां 24 फीसदी जबकि संयुक्त अरब अमीरात में 13 फीसदी परिष्कृत हीरे का निर्यात होता है। जबकि रत्न(रंगीन पत्थर) की बात करें तो इसका निर्यात साल 2007-08 में पिछले साल की तुलना में 3 करोड़ डॉलर बढ़कर 27.64 करोड़ डॉलर हो गया। वहीं सोने के गहने का निर्यात 8.07 फीसदी बढ़कर 2007-08 में 23,478 करोड़ डॉलर हो गया।