भारत मसाला निर्यात की विकास दर के आरंभिक रफ्तार को बरकरार नहीं रख सका। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान निर्यात की वृध्दि दर 8 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल से अगस्त की अवधि में यह 12 प्रतिशत थी।
मूल्य के मामले में 14 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई जबकि अप्रैल से अगस्त की अवधि में यह 16 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान संचयी निर्यात 2,53,550 टन रहा जिसकी कीमत 2,660.75 करोड़ रुपये थी जबकि साल 2007-08 की समान अवधि के दौरान संचयी निर्यात 2,33,825 टन था और इसकी कीमत 2,329.51 करोड़ रुपये थी।
पश्चिमी देशों में चल रहे वर्तमान आर्थिक उठापटक के कारण मसालों के निर्यात में मंदी आई है। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी देश भारतीय मसालों के निर्यात के प्रमुख केंद्र हैं। कोच्चि के एक मसाला निर्यातक के अनुसार आने वाले महीने मसाला निर्यात की दृष्टि से काफी मुश्किल साबित हो सकते हैं।
यद्यपि भारत 4,25,000 टन (4,350 करोड रुपये मूल्य के) के मसाला निर्यात लक्ष्य को पा सकता है पर वर्तमान चलन गंभीर चिंताओं की ओर संकेत करता है। काली मिर्च और अदरख के निर्यात में काफी कमी आई है जबकि मिर्च पहली छमाही के दौरान मुश्किल से पिछले साल के स्तर को बरकरार रख पाया है।
धनिया के निर्यात में 17 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई जबकि अप्रैल से अगसत की अवधि के दौरान इसमें 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। सभी मसालों और मूल्यवर्ध्दित उत्पादों, छोटी इलायची, हल्दी, और अजमोदा को छोड़ कर, के निर्यात की वृध्दि दर में गिरावट दर्ज की गई जिसकी वजह वैश्विक आर्थिक संकट रही है।
काली मिर्च का निर्यात 19,165 टन (279.15 करोड़ रुपये मूल्य का) से घट कर 12,750 टन (215.70 करोड़ रुपये का) हो गया, इसके परिमाण में 33 प्रतिशत और मूल्य में 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष के अगस्त महीने तक मिर्च में 3 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई जबकि अप्रैल से सितंबर अवधि के दौरान निर्यात में वृध्दि शून्य प्रतिशत की रही।
इस अवधि के दौरान 1,09,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया जिसकी कीमत 581.17 करोड़ रुपये थी। सितंबर में 12,000 टन मिर्च का निर्यात किया गया जबकि अगसत महीने में यह 16,000 टन था। अगस्त में 1,750 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया जबकि सितंबर में यह 1,500 टन रहा।
साल 2007 के सितंबर महीने में 3,543 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया था। धनिया के निर्यात में भी अगस्त की अपेक्षा सितंबर में 500 टन की गिरावट दर्ज की गई। अगस्त में 1,750 टन (13.38 करोड़ रुपये मूल्य का) काली मिर्च का निर्यात किया गया जबकि सितंबर में यह 1,250 टन रहा (10 करोड़ रुपये मूल्य का)।
लेकिन अगर साल 2007-08 की अप्रैल से सितंबर अवधि से तुलना कर देखें तो निर्यात बढ़ कर 15,500 टन हो गया जिसकी कीमत 105.25 करोड रुपये थी, पिछले साल 13,240 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया था जिसकी कीमत 50.98 करोड़ रुपये थी। अप्रैल से सितंबर के दौरान प्रमुख मूल्यवर्ध्दित उत्पादों जैसे मसाला तेल और ओलियोरेजिन्स के निर्यात में वृध्दि की दर मुश्किल से अप्रैल से अगस्त के स्तर जैसी रह पाई।
अप्रैल से अगस्त की अवधि में 3,500 टन का निर्यात किया गया जिसकी कीमत 344.22 करोड़ रुपये थी जबकि अप्रैल से सितंबर की अवधि के दौरान 2,755 टन का निर्यात किया गया और इसकी कीमत 229.89 करोड़ रुपये थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान निर्यात के परिमाण में 26 प्रतिशत और कीमतों में 48 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सरसों, सौंफ, अजवायन, शतपुष्प और पोस्ता दाना के परिमाणों में 285 प्रतिशत (10,850 टन) और कीमतों में 335 प्रतिशत (40.66 करोड़ रुपये) की बढ़त दर्ज की गई। जबकि अप्रैल से अगस्त की अवधि के दौरान परिमाण में 46 प्रतिशत और कीमतों में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 5,250 टन करी पाउडरपेस्ट, जिसकी कीमत 81.89 करोड़ रुपये थी की लदाई की गई।
इसके परिमाण में 31 प्रतिशत और कीमतों में 54 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। जीरा के निर्यात में जबरदस्त 97 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। साल 2007-08 के अप्रैल से सितंबर अवधि के दौरान 11,920 टन (125.33 करोड़ रुपये मूल्य का) जीरे का निर्यात किया गया जबकि चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 23,500 टन (241.73 करोड़ रुपये मूल्य का) रहा।