रूस-यूक्रेन टकराव का असर मोरबी (गुजरात) स्थित एशिया के सबसे बड़े सिरैमिक विनिर्माण केंद्र पर भी पड़ा है, क्योंकि उद्योग को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति और दाम वृद्धि की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही बाजारों के लिए सिरैमिक और विट्रिफाइड टाइलों का विनिर्माण करने वाली 1,000 से अधिक इकाइयों का यह स्थल मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित गुजरात गैस द्वारा आपूर्ति की जाने वाली प्राकृतिक गैस का उपभोग करता है। दरअसल गुजरात गैस की औद्योगिक गैस बिक्री में करीब 70 प्रतिशत योगदान मोरबी का रहता है।
हालांकि इस टकराव से न केवल प्राकृतिक गैस के दामों में ही इजाफा हुआ है, बल्कि तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति में भी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। इस सिरैमिक केंद्र में गुजरात गैस की आपूर्ति तय मूल्य पर अनुबंधित मात्रा की तुलना में केवल 80 प्रतिशत ही देखी गई है।
मोरबी के सिरैमिक टाइल के प्रमुख निर्यातकों में शुमार विन-टेल गु्रप के चेयरमैन केजी कुंदरिया ने कहा कि गुजरात गैस ने हमें शेष 20 प्रतिशत गैस जरूरत पडऩे पर मौजूदा बाजार दरों पर खरीदने के लिए कहा है। कर सहित 62 रुपये प्रति मानक घन मीटर (एससीएम) का मौजूदा तय मूल्य उद्योग के लिए अव्यावहारिक हो गया है। मौजूदा दरें 150 से 160 रुपये प्रति एससीएम तक होने की वजह से कई इकाइयों को उत्पादन और ऑर्डर छोडऩे पड़ेंगे।
सिरैमिक इकाइयों की इनपुट लागत में ईंधन के रूप में गैस की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक रहती है। सिरैमिक का यह केंद्र छह महीने पहले से ही गैस की कीमतों में 80 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी देख चुका है। इसके दाम 32 रुपये प्रति एससीएम से बढ़कर 58 रुपये प्रति सीएसएम हो चुके हैं।
कुंदरिया के अनुसार महामारी की वजह से घरेलू निर्माण बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट के बीच दामों में यह इजाफा हुआ था।
