कृषि कानून को लेकर उत्तर भारत के कुछ इलाकों के किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है, वहीं इस साल 19 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान गर्मियों की फसल के रकबे में जोरदार बढ़ोतरी हुई है क्योंकि देश के तमाम इलाकों में तेजी से बुआई चल रही है।
आंकड़ों से पता चलता है कि 19 मार्च तक गर्मियों की फसल की बुआई करीब 50.9 लाख हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15.34 प्रतिशत ज्यादा है।
गर्मियों की फसलें या जायद फसलों की खेती रबी और खरीफ सत्र के बीच की जाती है। इन फसलों की बुआई बड़े पैमाने पर मार्च में होती है और दक्षिण पश्चिम से आने वाले मॉनसून के पहले जून में ये तैयार हो जाती हैं। दलहन (प्रमुख रूप से मूंग), मोटे अनाज और धान, कई तरह की सब्जियां इस अवधि की मुख्य फसल है, जिनमें से ज्यादातर कम समय में तैयार होने वाली किस्में हैं। कुल कृषि उत्पादन में इनकी हिस्सेदारी बहुत कम है, लेकिन पिछले कुछ साल में गर्मियों की फसल की बुआई पर ध्यान बढ़ा है, जिससे किसान अतिरिक्त राजस्व जुटाते हैं। केंद्र सरकार भी जायद की फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग से कवायद कर रही है, जो कुछ साल पहले तक रबी और खरीफ के बीच उगाई जाने वाली सीमित उत्पादन की फसल बनी हुई थी।
बहरहाल आंकड़ों से पता चलता है कि गर्मी की फसलों के बुआई के महीने मार्च में 1 से 18 मार्च के बीच करीब 8 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 16 मिलीमीटर है।
केंद्रीय जल आयोग द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक 18 मार्च तक 130 जलाशयों में भंडारण पिछले साल के 87 प्रतिशत के बराबर और पिछले 10 साल के औसत का 122 प्रतिशत है। बुआई के रकबे से यह भी पता चलता है कि गर्मी की फसलों में धान की बुआई 35 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत ज्यादा है।
