बुधवार को खरीदारी निकलने से एशिया के सोना बाजार में मजबूती का रुख देखने को मिला। माना जा रहा है कि यह मजबूती फेडरल रिजर्व की योजना की घोषणा के बाद आई है।
इस योजना के मुताबिक उधार लेने के रास्ते को सुगम बनाया जाएगा ताकि खरीदारी में कोई दिक्कत नहीं हो। इस योजना के बाद सोने में 72 सेंट्स की मजबूती देखी गई।
या दूसरे शब्दों में कहे तो 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ यह प्रति तोला 974.02 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। गत छह मार्च को सोने में 2 फीसदी का उछाल आया था और यह प्रति तोला 992.05 डॉलर के स्तर पर चला गया था।
हालांकि चांदी में गिरावट का रुख देखने को मिला। चांदी की कीमत 6 मार्च की कीमत के मुकाबले दो सेंट्स या 0.1 फीसदी की गिरावट के साथ प्रति तोला 19.65 डॉलर के स्तर पर जा पहुंची है।
6 मार्च को इसकी कीमत प्रति तोला 21.23 डॉलर पर पहुंच गई थी जो 1980 से लेकर अबतक की सबसे ज्यादा कीमत थी।
फेडरेल के मुताबिक वह बैंकों को उधार देने के लिए 200 बिलियन डॉलर जारी करेगा। ताकि खरीदारी को मजबूती दी जा सके। उधर बाजार के अन्य सूत्रों का मानना है कि डॉलर में आई गिरावट के कारण बुधवार को सोना में मामूली अंतर दर्ज किया गया।
6 मार्च के बाद से अबतक सोने में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सिंगापुर स्थित ली चिओंग गोल्ड डीलर्स के निदेशक रोनाल्ड लीअंग का मानना है कि सोने की कीमत इस साल कभी भी 1000 डॉलर प्रति तोला के स्तर पर पहुंच सकती है क्योंकि बाजार में बहुत सारे निवेशक मौजूद है।
वे कहते है, ‘फिलहाल की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सोने का बाजार मजबूती की ओर है। बाजार में मोलभाव की बहुत की कम गुंजाइश है और मेरा मानना है कि निवेशक को सचमुच यह नहीं पता है कि उन्हें क्या करना चाहिए।’
नए साल की शुरुआत के बाद सोने में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सिंगापुर के एक अन्य कारोबारी कहते हैं, ‘मेरा अनुमान है कि आने वाले समय में सोने में कोई गिरावट आएगी।’