घटती मांग और गिरते दामों की वजह से पंजाब की इस्पात निर्माता कंपनियों ने उत्पादन में 50 फीसदी की कमी कर दी है।
नॉर्थ इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के अध्यक्ष के. के. गर्ग ने कहा, ‘मांग और कीमतों में जबरदस्त गिरावट की वजह से हमने ये कदम उठाया है।’ देश के द्वितीयक इस्पात उत्पादन में पंजाब की इस्पात कंपनियों का हिस्सा 20 फीसदी है और ये कंपनियां 8000 टन प्रति दिन इस्पात का उत्पादन करती है।
इस्पात विशेषज्ञों का कहना है, ‘साइकिल, हैंड टूल्स, फोर्जिंग, मशीन के उपकरण उद्योगों के तरफ से ऑर्डर में कटौती की वजह से इस्पात उद्योग की हालत पस्त होने लगी। वैश्विक बाजार में मांग में कमी होने की वजह से निर्यात ऑर्डर में भी कमी आई है।’
अभी इस्पात उद्योग मात्र निर्माण क्षेत्र की मांगों को ही पूरा कर पा रहा है। लुधियाना की एक कंपनी के मालिक संजीव गर्ग ने कहा, ‘टोर इस्पात की कीमत 46000 रुपये प्रति टन से घटकर 31000 प्रति टन हो गई है। हालांकि अभी भी निर्माण क्षेत्र ही ऐसा है, जहां से इस्पात के आदेश लगातार आ रहे हैं।’
विशेषज्ञों का मानना है कि इन्गॉट लोहे की कीमत में गिरावट की वजह से भी उत्पादन को घटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन्गॉट की कीमत अभी 27500 रुपये प्रति टन पर डोल रही है। इस साल इन्गॉट की कीमत ने अपनी रिकॉर्ड स्तर को छूते हुए 42000 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गया था और अब यह 23000 रुपये प्रति टन के न्यूनतम स्तर पर भी आ गया है।
उद्योग के जानकार इस बात का भी अंदाजा लगा रहे हैं कि हाल में इसकी कीमतों में कोई इजाफा नहीं होने जा रहा है, इसलिए इसके उत्पादन में कटौती की जा रही है। इसके अलावा विशेषज्ञ कहते हैं कि रुपये में गिरावट की वजह से आयातकों को अधिक मूल्य देना पड़ रहा है। इससे समस्याएं और बढ़ गई है।