स्टील उत्पादन की लागत में ताजा बढ़ोतरी से दो बड़ी कंपनियां स्टील ऑथिरिटी ऑफ इंडिया (सेल) व टाटा स्टील इन दिनों मुश्किलों में हैं।
उत्पादन के मुख्य कारण कोकिंग कोयले के दाम में एक महीने के भीरत दोगुने की बढ़ोतरी से उन्हें लागत की पूर्ति करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कोकिंग कोयले की कीमत वर्तमान में प्रतिटन 500 से 600 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। जबकि इस साल फरवरी महीने के मध्य में इसकी कीमत 270 डॉलर प्रतिटन के स्तर पर थी।
भारत की स्टील कंपनियां मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया से कोकिंग कोयले का आयात करती हैं। इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण ऑस्ट्रेलिया के बंदरगाहों पर जाम होना बताया जा रहा है। इससे स्टील का उत्पादन करने वाले दक्षिण अफ्रीका के देशों के उत्पादन में भी कमी आई है।
जानकारों का मानना है कि कोकिंग कोयले की कीमत बहुत दिनों तक 580-600 डॉलर प्रतिटन के स्तर पर कायम नहीं रह सकती है। क्योंकि ऐसा होने पर स्टील उत्पादन की लागत काफी अधिक हो जाएगी और इसे लंबे समय तक बर्दाश्त करना काफी मुश्किल होगा।
घरेलू स्टील कंपनियों ने इस महीने अपने उत्पाद की कीमत में बढ़ोतरी भी कर दी है। और उम्मीद है इस साल अप्रैल में इसकी कीमत में फिर से बदलाव किया जाएगा। इस साल मार्च के पहले सप्ताह में घरेलू स्टील कंपनियों ने केंद्र सरकार के विरोध के बावजूद अपने उत्पाद की कीमत में प्रतिटन 1500 से 3000 रुपये की बढ़ोतरी की है।
तब उन कंपनियों की दलील थी कि उनकी लागत में खासकर कोकिंग कोयले व ऊर्जा के मूल्यों में बढ़ोतरी के कारण उन्हें अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि घरेलू हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) की कीमत प्रति टन 33,000 रुपये से अधिक हो गई। स्टील कंपनियां कोकिंग कोयले को पहले कोयले में बदलती है। इसके बाद अन्य कारकों के साथ इनका इस्तेमाल कर स्टील का उत्पादन किया जाता है।