भारत के इस्पात निर्यात में वित्तीय वर्ष 2007-08 के दौरान 22 फीसदी की गिरावट हुई और यह घटकर 38 लाख टन रह गया।
जबकि इसके आयात में 41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 62 लाख टन तक पहुंच गया। इंडियन स्टील अलायंस के अध्यक्ष मूसा रजा के अनुसार इस अवधि में जहां निर्यात में कमी हुई वहीं आयात में बढ़ोतरी हुई है।
रजा के मुताबिक इस साल के मार्च महीने में बाजार में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15 से 20 फीसदी ज्यादा स्टील उपलब्ध हुआ। जाहिर है स्टील की यह मात्रा या तो आयात से आयी है या घरेलू उत्पादन से। उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू स्टील उद्योग छोटे और मध्यम उद्यमों को खास तवाो दे रहा है ताकि बिचौलिए किसी तरह का कोई फायदा न उठा सकें।
आंकड़ों के मुताबिक देश में उत्पादित किए जाने वाले कुल 6 करोड़ टन स्टील में से आधे का उत्पादन असंगठित क्षेत्रों में बंटे द्वितीयक श्रेणी के काफी बड़े उत्पादक समूह के जरिए हो रहा है। इनमें उत्पादित किए जाने वाले ज्यादातर माल बिचौलियों और दलालों के जरिए ही उपभोक्ताओं तक पहुंचते हैं। बाकी बचे 50 फीसदी यानि 3 करोड़ टन स्टील का उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील कंपनियों के जरिए होता है।
मूसा रजा ने कहा कि स्टील उद्योग की इस सच्चाई कि यहां निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्र के खिलाड़ी हैं, इस उद्योग में कीमत बढाने के लिए किसी तरह का कोई गठजोड़ संभव नहीं है। अपने बयान के जरिए मूसा ने वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बुधवार को दिए गए बयान कि स्टील और सीमेंट कंपनियां कीमत बढ़ाने के लिए गठजोड़ कर रही हैं, का खंडन भी किया। हालांकि चिदंबरम ने संकेत दिया था कि सरकार ऐसे किसी भी गठजोड़ को खत्म करेगी।
आईएसए के अध्यक्ष ने कहा कि कई कंपनियों द्वारा कीमत में बढ़ोतरी के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में हमारे यहां स्टील की कीमत काफी कम है। दुनिया की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी आर्सेलर मित्तल का हवाला देते हुए उनका कहना था कि कच्चे माल में बढ़ोतरी होने के चलते इस कंपनी ने स्टील की कीमत में 250 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी की है।
हॉट रोल्ड कॉयल की कीमत प्रति टन 1,900 डॉलर तक पहुंच जाने के चलते आर्सेलर मित्तल और ब्राजील की सीएसएन ने इस महीने दूसरी बार मई की डिलीवरी के लिए अपने स्टील उत्पाद में बढ़ोतरी की है।
रजा के अनुसार यूरोपीय बाजार में हॉट रोल्ड कॉयल एक्स मिल्स की औसत वैश्विक कीमत 1,200 डॉलर प्रति टन है। यदि यही उत्पाद भारत आता है तो यहां इसकी कीमत 53,000 रुपये प्रति टन से अधिक होगी जबकि यहां कीमत में बढ़ोतरी के बावजूद फिलहाल यह 38,000 डॉलर प्रति टन के हिसाब से ही बिक रहा है।