जीरा और काली मिर्च के वायदा कारोबार में सोमवार को मंदी देखने को मिली क्योंकि नये आवक के मद्देनजर कारोबारी अपनी पोजीशन बढ़ाने से दूर रहना चाह रहे थे।
वित्त मंत्री चिदंबरम के इस कथन के बाद कि देश में बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए और कदम उठाए जा सकते हैं, एनसीडीईएक्स के दोपहर की कारोबारी धारणाओं में कमजोरी आई। हालांकि, एक्सचेंज में जीरा और काली मिर्च के वायदा में नर्मी दिखी जबकि लाल मिर्च के वायदा में मिश्रित चलन दिखा।
जुलाई महीने के जीरे के वायदा करारों के मूल्य में 143 रुपये की गिरावट आई और इसका कारोबार 10,974 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर किया जा रहा था और सितंबर के करार मूल्य में 108 रुपये की मंदी आई, इसका कारोबार 11,420 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था।
जुलाई और सितंबर के कारोबार का परिमाण क्रमश: 1,407 और 1,731 टन था। कारोबारियों ने कहा कि गुजरात के ऊंझा से जीरा की आवक बढ़ने से इसके मूलयों में कमी आई है। जीरा के लगभग 13,000 थैले आ चुके हैं और ऊंझा के बाजार में 9,000-10,000 थैलों का कारोबार किया गया था।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में चल रहे गुर्जरों के प्रदर्शन का प्रभाव परिवहन पर नहीं के बराबर पड़ा है। ऊंझा से जोधपुर तक किसी किसी प्रकार का अवरोध नहीं है। इससे जीरा की आपूर्ति सामान्य तरीके से हुई है। पिछले सप्ताह तक एनसीडीइईएक्स की निगरानी वाले भंडारगृहों में जीरा का स्टॉक 929 टन था जबकि 120 टन प्रक्रिया की दौर से गुजर रहा था।
काली मिर्च के भाव में थोड़ी कमजोरी थी क्योंकि भारी मॉनसूनी बारिस के कारण केरल के दक्षिणी हिस्से से इसके आवक की अनिश्चितता है। काली मिर्च के जून के करार मूल्यों में 32 रुपये की गिरावट आई और इसका कारोबार प्रति क्विंटल 14,125 रुपये पर किया जा रहा था। जुलाई के बेंचमार्क करारों का कारोबार 29 रुपये कम पर 14,425 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था।
जुन और जुलाई के करारों का परिमाण क्रमश: 344 टन और 965 टन रहे। बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि अमेरिकी और यूरोपियन बाजार से खरीदारी लगभग रुक सी गई है लेकिन मध्य पूर्व की वजह से गिरते मूल्यों पर अंकुश लगा है। किसान अपनी फसल जल्दबाजी में नहीं बेचना चाहते हैं, उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में अमेरिकी खरीदारों के वापस आने के बाद मूल्यों में बढ़ोतरी होगी।
एनएमसीडीईएक्स भंडारगृह में काली मिर्च का स्टॉक 6,732 टन का था जबकि 57 टन का कारोबार किया गया। लाल मिर्च के वायदा में मिला जुला कारोबार होते देखा गया क्योंकि सत्र के मध्य में उलझनों में फंसा बाजार एक दिशा प्राप्त करने में प्रयासरत था।
लाल मिर्च के जून के करारों में एक रुपये की वृध्दि हुई और इसका कारोबार 4,895 रुपये प्रति क्विंटल पर किया गया। कारोबार का परिमाण 130 टन था। अगस्त के बेंचमार्क करार की कीमतों में 14 रुपये की कमी आई और 5,372 रुपये प्रति क्विंटल पर इसका कारोबार किया गया। कारोबार का परिमाण 125 टन था।