गत अक्तूबर से फरवरी महीने के दौरान भारत के चीनी उत्पादन में मामूली बदलाव आया है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव सुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के उपसचिव आरके अग्रवाल ने बताया कि अक्तूबर से फरवरी के दौरान चीनी का उत्पादन 16.9 मिलियन मिट्रिक टन रहा।
एक अनुमान के मुताबिक इस साल चीनी का उत्पादन 27 मिलियन टन के आसपास रह सकता है। जबकि एक साल पहले चीनी का उत्पादन 28.3 मिलियन टन हुआ था।
चीनी उत्पादन में थोड़ी कमी के लिए महाराष्ट्र में गन्ने की खेती में हुई देरी को एक कारण माना जा रहा है। वहां बारिश की वजह से दो सप्ताह की देरी से गन्ने की खेती शुरू की गई।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मूल्यों को लेकर चीनी मिलों के झगड़े के कारण भी उत्पादन में देरी हुई। गन्ने के उत्पादन में महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा प्रांत है।
एक अक्तूबर से लेकर 9 मार्च तक यहां 6.32 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन किया गया। जबकि गत वर्ष यह उत्पादन 6.42 मिलियन टन था।
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव सुगर फैकट्रीज फेडरेशन लिमिटेड के एमडी प्रकाश नाइकनावरे ने बताया कि पश्चिम भारत के प्रांतों में इस साल अबतक 53.2 मिलियन टन गन्ने की पेराई की गई है जो पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी कम है।
गन्ने के उत्पादन में गत साल के मुकाबले गिरावट के बावजूद इस साल रिकवरी का स्तर ऊंचा रहा जिससे चीनी के कुल उत्पादन को अपना स्तर कायम रखने में मदद मिली है।
उनका अनुमान है कि राज्य में चीनी का कुल उत्पादन 8.3 मिलियन टन रहेगा। भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां चीनी का सीजन अक्तूबर महीने से शुरू होता है।