अमेरिका और जापान जैसे देशों को होने वाले झींगा मछली निर्यात में 2007 के दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई है।
2007 में जापान को 27025 टन झींगा का निर्यात हुआ जबकि इससे एक साल पहले 28546 टन झींगा निर्यात हुआ था। अमेरिका को भेजे गए झींगे में तो और भी गिरावट दर्ज की गई। 2007 में अमेरिका को 20776 टन झींगा का निर्यात हुआ जबकि 2006 में 27277 टन झींगा का निर्यात हुआ था।
पिछले तीन साल में अमेरिका को हुए झींगा निर्यात में करीब 100 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 2004 में अमेरिका को 41004 टन झींगे की शिपमेंट हुई थी जो 2005 में घटकर 35699 टन के स्तर पर आ गई। इसी तरह इन सालों में जापान को होने वाला कुल निर्यात 301078 टन की बजाय 276222 टन का रह गया। वैसे 2007 की बात करें तो जापान को होने वाला निर्यात 2003 के बाद सबसे कम हुआ है।
अगर इस निर्यात के मूल्य की बात करें तो इसमें भी गिरावट दर्ज की गई है और यह 2006 के 2.49 अरब डॉलर से घटकर 2007 में 2.25 अरब डॉलर पर आ गिरा है। इस दौरान म्यांमार, फिलिपींस और बांग्लादेश से भी जापान का आयात कम हुआ है क्योंकि यहां से आने वाली मछली में एंटी बायोटिक तत्व पाए गए थे। केवल चीन और थाइलैंड का जापान को निर्यात ही इस दौरान बेहतर रहा है। जहां थाइलैंड का निर्यात 2007 में 31 फीसदी बढ़ा, वहीं चीनी निर्यात में भी ठीकठाक बढ़ोतरी दर्ज की गई।
दिलचस्प तथ्य ये है कि जापान को होने वाले निर्यात में अगर सभी मछलियों को शामिल कर लिया जाए तो मात्रा केलिहाज से इसमें 12 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है जबकि कीमत के मामले में 17 फीसदी का इजाफा। लेकिन चीन और थाइलैंड दोनों की अमेरिका को होने वाले निर्यात में पिछड़ गए हैं। 2007 में थाइलैंड से कुल 188319 टन झींगा का निर्यात हुआ जबकि 2006 में 193764 टन झींगा का निर्यात हुआ था।
इस दौरान चीनी निर्यात 68150 टन के मुकाबले 48419 टन झींगा का निर्यात हुआ। इक्वाडोर, वियतनाम, मैक्सिको, मलयेशिया, वेनेजुएला, गुयाना और पेरू के निर्यातकों को अमेरिकी आयातकों से काफी समर्थन मिला है। हालांकि इस दौरान मैक्सिको के निर्यात में ही उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला।
2001-02 में जहां भारत के 179 निर्यातक अमेरिका को माल भेजते थे, वहीं 2006-07 में इसकी संख्या घटकर 80 पर आ गई। 2006-07 केदौरान भारत ने 612641 टन मैरीन प्रॉडक्ट का रेकॉर्ड निर्यात किया जो कीमत के लिहाज से 8363.53 करोड़ रुपये का बैठता है। इस तरह मात्रा में 19.62 फीसदी और कीमत के लिहाज से 15.44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
कुल निर्यात का 55 फीसदी हिस्सा झींगा का है, इस वजह से जापान और अमेरिका का बाजार हमारे देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वैसे भारतीय मैरीन प्रॉडक्ट के लिए यूरोपियन यूनियन बड़े बाजार के रूप में उभरा है। यहां 34 फीसदी भारतीय माल जाता है जबकि जापान में 16.1 फीसदी, अमेरिका में 16.03 फीसदी और चीन में 14 फीसदी।