अंतरराष्ट्रीय मंदी के गहराने की गूंज भले ही देश के तमाम कारोबारों में सुनने को मिल रही है लेकिन रोशनी और साज-सज्जा के लिए मशहूर दीपावली में रोशनी और सजावट का बाजार इस बार भी खूब जगमगा रहा है।
पिछले साल की तुलना में इस बार इन चीजों के कारोबार में करीब 20 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। कारोबरियों के मुताबिक, तेल की कीमतों के बूम पर होने से इस दीवाली पर परंपरागत मिट्टी के दीयों की बजाय चाइनीज दीयों की धूम है।
चांदनी चौक स्थित मॉडर्न डेकोरेशन के राहुल गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दिवाली के मौके पर रोशनी और सजावटी सामानों की मांग इस बार 20 फीसदी तक बढ़ गयी है। वैसे तो इन चीजों की मांग शादी-ब्याह और कुछेक त्योहारों पर भी होती है, लेकिन दिवाली में इनकी मांग सबसे ज्यादा बढ़ जाती है।
गुप्ता का दावा है कि रोशनी और सजावट के सालाना कारोबार का लगभग 60 फीसदी तो दीवाली के मौके पर ही निपट जाता है। खान मार्केट के कैपिटल इलेक्ट्रिकल्स के प्रबंधक अमित कुमार ने बताया कि आजकल बाजार में रोशनी और सजावट के अनेक सामान हर रेंज में मौजूद हैं। टिमटिमाने वाली बहुरंगी लाइट 175 से 225 रुपये में मिल जा रही है।
चांदी के दीये की कीमत 200 से 250 रुपये है। उनकी मानें तो इस दिवाली में दीये लगी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों की काफी मांग है जो 250 रुपये के रेंज में मौजूद है। करोलबाग के डेकोरेशन वर्ल्ड के रमेश कुमार सिन्हा ने बताया कि तेल की कीमतों में लगी आग से लोग अब परंपरागत दीयों का विकल्प तलाश रहे हैं। इस चलते चीनी लैंपों और दीयों की मांग में खासा इजाफा हुआ है।
मौके की नजाकत को भांपकर कारोबारियों ने बाजार में चीनी लैंपों की बाढ़ सी लगा दी है। सिन्हा ने बताया कि अब मिट्टी के दीयों को चीनी दीयों से खतरा दिख रहा है। इसकी एक दूसरी वजह भी है कि ये दीये ज्यादा टिकाऊ होते हैं।
बाजार में आने वाले ज्यादातर लोग अब चीनी दीयों की खूब मांग कर रहे हैं। ये दीये कई सारे मॉडलों में उपलब्ध हैं। लक्ष्मी नगर के एक कारोबारी इस बात से इनकार करते हैं कि परंपरागत दीयों का बाजार खतरे में है। बहुत सस्ता होने के चलते इनकी मांग बरकरार है। यह जरूर है कि लोग अब रेडीमेड सामान का रुख कर रहे हैं।