रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया समेत तेल उत्पादक कंपनियों के शेयर शुक्रवार को भारी बिकवाली के दबाव में आ गए जब सरकार ने पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर कर लगा दिया। इसमें कहा गया है कि इन उत्पादों के निर्यातकों को सबसे पहले देसी बाजार की जरूरतें पूरी करनी होगी।
निर्यात पर कर के अलावा सरकार ने कच्चे तेल की तेजी के कारण देसी रिफाइनरीज को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाने का ऐलान किया। देसी कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का उपकर भी लगाया गया। एक अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने अपने डीजल उत्पादन का 42 फीसदी और गैसोलीन उत्पादन का 44 फीसदी निर्यात किया।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, अप्रत्याशित लाभ पर कर ज्यादातर साइक्लिकल सेक्टर पर तलवार की तरह लटका रहेगा, खास तौर से जिंसों पर और शुक्रवार को हुई घोषणा आने वाले समय में ऐसे कर की वरीयता तय करेगा।
बालिगा ने कहा, यह निश्चित तौर पर तेल रिफाइनरों व निर्यातकों के लिए नकारात्मक है। सवाल यह उठता है कि सरकार हालांकि अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाना सही ठहरा सकती है, लेकिन उद्योग की भरपाई कैसे होगी जब कीमतें लाभकारी नहीं हैं। मैं गिरावट में ऐसे शेयरों की खरीदारी की सलाह नहीं दूंगा क्योंकि लाभ में बढ़ोतरी की संभावना कम है।
आरआईएल के लिए नुकसान?
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा है, आरआईएल जैसी निर्यातोन्मुखी इकाइयों को 30 फीसदी डीजल स्थानीय बाजारों में बेचना होगा, ताकि उन्हें ज्यादा कर न चुकाना पड़े। डीजल व गैसोलीन पर इन नियमों का असर का अनुमान लगाते हुए ब्रोकरेज का कहना है कि आरआईएल की सकल रिफाइनिंग मार्जिन पर 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल की चोट पड़ेगी।
आरआईएल अपने पेट्रोकेमिकल, बी2बी और पेट्रोल पंपों के जरिए अभी अपने उत्पादन का 40 से 50 फीसदी स्थानीय बाजारों में बेचती है। उनका कहना है, हालांकि बिक्री ज्यादातर नाफ्था भारांक वाला है और हम आरआईएल की स्थानीय डीजल बिक्री के विस्तृत विवरण का इंतजार कर रहे हैं। चूंकि ज्यादातर अन्य रिफाइनर मोटे तौर पर स्थानीय बिक्री करते हैं, ऐसे में आय पर असर सीमित होगा।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने कहा कि देसी कच्चे तेल के उत्पादन पर 40 डॉलर प्रति बैरल का उपकर ओएनजीसी व ऑयल इंडिया के लिए नकारात्मक आश्चर्य के तौर पर आया है और यह मध्यम अवधि में क्षेत्र के लिए गिरावट का जोखिम खड़ी करेगा। उनका कहना है कि इस कदम से ओएनजीसी और ऑयल इंडिया की आय वित्त वर्ष 23 में क्रमश: 36 फीसदी व 24 फीसदी प्रभावित होगी।
वैयक्तिक शेयरों की बात करें तो आरआईएल का शेयर कारोबारी सत्र के दौरान 9 फीसदी टूटा जबकि ओएनजीसी व ऑयल इंडिया के शेयरों में क्रमश: 14 फीसदी व 16.5 फीसदी की गिरावट आई, हालांकि बाद में इनमें आंशिक सुधार हुआ। पिछले कुछ हफ्तों में बर्नस्टीन, मॉर्गन स्टैनली और जेफरीज समेत ज्यादातर ब्रोकरेज फर्मों ने आरआईएल को अपग्रेड किया है और उम्मीद है कि आरआईएल का शेयर 3,000 रुपये के पार निकलेगा।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरांग शाह ने कहा, लगता है कि सरकार का मुख्य ध्यान इन उत्पादों की देसी आपूर्ति में इजाफा करने पर है, जो महंगाई को नीचे लाने में मदद करेगा। पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क हाल में घटाया भी गया है। शुक्रवार का घटनाक्रम कुछ कंपनियों के लाभ को सीमित कर देगा, जो इन उत्पादों के निर्यात से उन्हें मिल रहा था। जब महंगाई का दबाव कम हो जाएगा तब इन करों की वापसी भी हो सकती है।
शाह का मानना है कि आरआईएल व ओएनजीसी में गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। उन्होंने कहा, गेल भी मेरी खरीद की सूची में है। अच्छे खासे लाभांश के अलावा सरकारी स्वामित्व वाली तेल रिफाइनिंग व विपणन कंपनियों ने शेयरधारकों को शायद ही दिया है। ओएमसी पर नजर डालने की कोई वजह नहीं बनती।