वित्त वर्ष 2008-09 में तिल के निर्यात में उछाल दर्ज किए जाने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि सूडान व इथोपिया में इसकी पैदावार में कमी आई है।
आने वाले वित्त वर्ष में तिल निर्यात का आंकड़ा 3 लाख टन तक पहुंच सकता है।2007-08 में करीब 2.5 लाख टन तिल का निर्यात हो चुका है जबकि कुल पैदावार 4.5 लाख टन की हुई। इस वित्त वर्ष में अकेले चीन ने भारत से 60 हजार टन तिल का आयात किया है। इंडियन ऑयलसीड एक्सपोर्टर्स असोसिएशन (आईओपीईए) के चेयरमैन संजय शाह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग को देखते हुए आने वाले वित्त वर्ष में तिल का निर्यात 3 लाख टन के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
सूडान और इथोपिया में तिल की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय तिल की मांग बढ़ी है। इन दोनों देशों में तिल की फसल खराब हो गई है और यही वजह है कि पैदावार में करीब 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि 2008-09 में भारत से होने वाले तिल निर्यात का आंकड़ा बहुत कुछ अफ्रीकी देशों व चीन में होने वाले तिल के पैदावार पर निर्भर करेगा। आईओपीईए के पूर्व अध्यक्ष किशोर तन्ना ने कहा कि इन देशों की तिल की उपज अंतरराष्ट्रीय बाजार में सितंबर तक पहुंचेगी।
चीन के अलावा भारत पश्मिची एशिया व लैटिन अमेरिकी देशों को तिल का निर्यात करता है। निर्यात मांग में बढ़ोतरी की शुरुआत को देखते हुए लग रहा है कि इसका असर तिल की कीमत पर भी पड़ेगा। हाल में तिल की कीमत दो हजार रुपये (प्रति 20 किलो) के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। कीमत का यह स्तर अब तक का सर्वोच्च स्तर है। फिलहाल इसकी कीमत प्रति 20 किलो 1700 रुपये के स्तर पर है।