जिंसों के भावों पर वायदा कारोबार के प्रभाव का अध्ययन कर रही विशेषज्ञ समिति न तो वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने और न ही इसे जारी रखने रखने की सिफारिश करेगी।
अभिजीत सेन समिति के सदस्य शरद जोशी ने बताया ” संदर्भ की शर्तें हमें वायदा कारोबार के भविष्य को लेकर सिफारिशें करने के लिए बाध्य नहीं करतीं हैं और वायदा कारोबार को जारी रखा जाए या नहीं इस पर हमें कुछ नहीं कहना है।”
उन्होंने कहा कि बुधवार को तीन घंटे तक चली बैठक में सदस्यों में यह सहमति बनी है कि हम अपने विचारों वाली एक साझा न्यूनतम रपट (सीएमआर) कृषि मंत्री शरद पवार को सौंपेंगे।
जोशी ने कहा ” इस रपट में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने या इसे जारी रखने के संबंध में कुछ भी नहीं होगा।” जहां तक गेहूं सहित कुछ जिंसों के वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध हटाने की बात है उन्होंने कहा ” इन वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध हटाया जाए या नहीं, इस बारे में हमें कुछ नहीं कहना है।” दूसरी ओर वायदा कारोबारी अब आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
उनका कहना है कि वायदा पर प्रतिबंध की शंकाएं समाप्त हो गयी है। उनके मुताबिक अब तो जिन वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा था उसे समाप्त करने पर विचार किया जा रहा है। दो दिन पहले गेहूं व चावल के वायदा कारोबार को शुरू करने की मांग को लेकर कई राज्यों के किसानों ने बड़ी संख्या में कुरूक्षेत्र में महापंचायत का भी आयोजन किया था। अभिजीत सेन कमेटी उम्मीद के मुताबिक 27 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
सेन कमेटी के सदस्य जोशी ने गेंहू व चावल के वायदा कारोबार शुरू करने पर भी अपनी राय दी है। एनसीडीईएक्स के पदाधिकारियों ने बताया कि वायदा कारोबार पर प्रतिबंध का तो अब सवाल ही नहीं उठता। चार-पांच दिन पहले तक इस बात की आशंका थी कि वायदा पर सरकार कही रोक न लगा दे।
लेकिन योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया के इस बयान के बाद कि कीमत की बढ़ोतरी में वायदा कारोबार का कोई लेना-देना नहीं है, के बाद वायदा कारोबार जगत आश्वस्त हो गया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि सेन कमेटी के सदस्यों ने तो अब इस बात को लेकर बहस छेड़ दी है कि वायदा कारोबार की सूची में प्रतिबंधित चीजों के वायदा कारोबार भी शुरू किए जाए। गेहूं, चावल के साथ उड़द व टूर के वायदा कारोबार पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है।
एनसीडीईएक्स के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने 2006 में गेहूं के वायदा कारोबार पर रोक लगायी लेकिन क्या इससे गेहूं की कीमत में कमी आ गयी। उसी तरीके से चावल के वायदा पर भी प्रतिबंध से कीमत पर कुछ नहीं हुआ।