रुपये मंगलवार को आठ महीने में सबसे बड़ी गिरावट का शिकार हुआ था, क्योंकि कई प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में डॉलर मजबूत हुआ। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने से रुपये में गिरावट आई। दोनों देशों के बीच इस तनाव से कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गईं।
कई बैंकों ने तेल विपणन कंपनियों की ओर से डॉलर की खरीदारी शुरू कर दी है, क्योंकि ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया, जिससे भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 1.4 प्रतिशत या 109 पैसे गिर गया, जो प्रमुख एशियाई मुद्राओं (जापान को छोड़कर) में बड़ी गिरावट में से एक है। यह मुद्रा आखिर में 75.65 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो 20 दिसंबर 2021 से इसका सबसे निचला स्तर है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषक गौरांग सोमैया (फॉरेक्स ऐंड बुलियन) ने कहा, ‘आज के सत्र में रुपये में भारी गिरावट आई, क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया। इससे बाजार धारणा प्रभावित हुई और जोखिम वाली परिसंपत्तियों में कमजोरी को बढ़ावा मिला। वहीं सोने, चांदी और जापानी येन जैसी सुरक्षित समझी जाने वाली परिसंपत्तियों में खरीदारी में इजाफा दर्ज किया गया।’
