चावल निर्यातकों के समूह का कहना है कि लगातार दूसरे साल भारत में चावल की बंपर फसल हुई है।
उनका कहना है कि चावल की कीमतों के बढ़ने से किसानों ने चावल का रकबा बढ़ाया है। उनका यह भी कहना कि चावल की कीमतें बढ़ने से इन किसानों को भी बहुत फायदा पहुंचा है और उनकी आमदनी बढ़ी है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष विजय सेतिया बताते हैं कि कृषि मंत्रालय का कहना है कि इस साल चावल की उपज अनुमान से भी 5 फीसदी से भी अधिक हो सकता है। चावल की फसल के लिए पानी की बहुत जरूरत होती है। इस साल मानसून के बढ़िया रहने की उम्मीद है।
जाहिर है चावल की फसल को इससे फायदा पहुंचेगा। चावल की बढ़िया फसल होने की स्थिति में सरकार चावल के निर्यात में थोड़ी ढील दे सकती है। इसके अलावा चावल की बढ़ती कीमतों पर भी कुछ काबू पाया जा सके गा। वैसे चावल की कीमतें इसी हफ्ते कम हुई हैं।
सेतिया का कहना है कि किसान बढ़िया कीमत की वजह से ही चावल के उत्पादन को बढ़ाने में लगे हैं। भारत ने पिछले महीने ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। दरअसल भारत में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और सरकार खाद्यान्न के मामले में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि अक्टूबर में जबसे चावल की खरीद शुरू हुई तब से सरकार 2.32 करोड़ टन चावल किसानों से खरीद चुकी है।
यह खरीद पिछले साल की तुलना में 18 लाख टन अधिक है। सेतिया का कहना है कि हम लोग निर्यात करने की स्थिति में हैं। उनका कहना है कि निर्यात सरकारी स्टॉक से होना चाहिए जिससे कि घरेलू कीमतें प्रभावित न हों। सेतिया का कहना है कि भारत सुगंधित बासमती चावल का निर्यात जारी रखेगा।
इसके लिए न्यूनतम कीमत 1,200 डॉलर प्रति टन रखी गई है। इसके अलावा घरेलू आपूर्ति में कोई किल्लत न हो इसके लिए 8,000 रुपये की लेवी भी लगाई गई है। सेतिया ने बताया कि इस साल निर्यात कीमतें 1,600 से 2,000 डॉलर प्रति टन के बीच बनी हुई हैं।