गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद केंद्र सरकार ने आटे और उससे जुड़े अन्य उत्पादों के निर्यात पर लगाम लगा दी है। इसके निर्यात के लिए सभी निर्यातकों को गेहूं के निर्यात को लेकर बनी अंतर मंत्रालय समिति से पूर्व अनुमति लेनी होगी और उसके बाद ही माल किसी विदेशी शिपमेंट पर भेजा जा सकेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के मुताबिक यह व्यवस्था 6 जुलाई को अधिसूचित की गई और 12 जुलाई से प्रभाव में आएगी।
उस समय तक, यानी 6 जुलाई से 12 जुलाई के बीच, जहां जहाज पर लोडिंग 6 जुलाई के पहले शुरू कर दी गई थी, वहां शिपमेंट की अनुमति दी जाएगी। साथ ही जहां अधिसूचना जारी होने के पहले सीमा शुल्क को खेप सौंप दी गई है, उसके निर्यात की अनुमति होगी।
हालांकि आटे और उससे संबंधित उत्पादों के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जैसा कि गेहूं के मामले में लगाया गया है। डीजीएफटी की अधिसूचना के मुताबिक मैदा, सेमोलिना आदि जैसे सामान को भी निर्यात सीमित करने के दायरे में लाया गया है।
13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आटे के दाम में कुछ स्थिरता आई है, इसके बावजूद निर्यात को सीमित किया जा रहा है।
व्यापार से जुड़े कुछ सूत्रों का कहना है कि निर्यात यह सुनिश्चित करने के लिए सीमित किया गया है कि रातोंरात कारोबार करने वाले ऑपरेटर, जो बाजार में तेजी से पैसे बनाने के लिए आते हैं, उन्हें गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद आटे के निर्यात से अस्वाभाविक कमाई न हो।
आईग्रेन इंडा में विश्लेषक राहुल चौहान ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आटे का निर्यात अब नियंत्रण के अधीन रहेगा। इसके पहले आटे का निर्यात जोरों पर था। हालांकि आटा की कीमत पहले की कम होने लगी थी और अब यह और कम हो सकती है। लेकिन यह कम अवधि के लिए होगा क्योंकि त्योहारी सीजन और केंद्र सरकार द्वारा खुले बाजार में बिक्री रोकने का दबाव कीमतों को समर्थन करेगा। मांग व आपूर्ति की बुनियादी धारणा अभी भी गेहूं और आटे की कीमत का समर्थन करेगी।’
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने अप्रैल 2022 में करीब 95,167 टन गेहूं के आटे का निर्यात किया है, जो अप्रैल 2021 में 26,000 टन था। इसके निर्यात में करीब 267 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
वित्त वर्ष 22 में भारत ने 70 लाख टन से ज्यादा गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात किया, जो 2.12 अरब डॉलर के करीब का था। मूल्य के हिसाब से पिछले साल की समान अवधि में इसमें 274 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक वित्त वर्ष 23 में प्रतिबंध के वक्त तक करीब 45 लाख टन गेहूं के निर्यात सौदे हुए हैं। इसमें से 14.7 लाख टन का निर्यात अप्रैल 2022 में किया गया। अप्रैल 2021 में करीब 2.4 लाख टन का निर्यात हुआ था।
अगर निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया होता तो भारत करीब 80 लाख टन से 1 करोड़ टन गेहूं का निर्यात कर सकता था।
