कपास के आयात पर 30 सितंबर तक सीमा शुल्क की छूट देने के सरकार के निर्णय से कीमतों पर कोई बड़ा या दीर्घावधि असर नहीं होगा, क्योंकि शुल्क माफी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में और अधिक मजबूती आई है। साथ ही वैश्विक स्तर पर लॉजिस्टिक संबंधी परेशानियों से कीमतों को समर्थन मिलेगा।
व्यापार और उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि आयात में सुगमता के कारण कपास की कीमतों में महज 5,000 रुपये से 6,000 रुपये प्रति कैंडी की कमी आएगी।
भारत चालू सीजन में कपास के 20 लाख से 25 लाख गांठों का आयात कर सकता है। कपास के सीजन की शुरुआत अक्टूबर में होती है। 1 गांठ 170 किलोग्राम के बराबर होता है।
व्यापार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 31 मार्च, 2022 तक पहले ही करीब 4 से 6 लाख गांठों का आयात किया जा चुका है।
शेष में से करीब 8 लाख गांठों के लिए ठेका शुल्क में कटौती से पहले ही दिया जा चुका है। इसलिए बाकी गांठों का आयात शून्य शुल्क पर होने की उम्मीद है।
हालांकि, आयातित कपास की जमीनी कीमत पर किस हद तक असर पड़ता है यहां नजर रखनी होगी, क्योंकि आयात शुल्क को माफ करने की घोषणा के तुरंत बाद आईसीई नियर मंथ फ्यूचर्स में वैश्विक कपास कीमतें 5 फीसदी चढ़कर 145 सेंट प्रति पाउंड हो गई जिससे आयातकों के लिए कीमतों पर पडऩे वाला असर समाप्त हो गया।
कपास पर फिलहाल 5 फीसदी मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) और 5 फीसदी का कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) लगता है। कपास का आयात मोटे तौर पर ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका से होने की उम्मीद है। इनमें से अमेरिका से आयात लॉजिस्टिक संबंधी दिक्कतों के कारण थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
व्यापार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘कपास कीमतों को शुल्क छूट के बावजूद समर्थन मिलता रहेगा क्योंकि फिलहाल लॉजिस्टिक संबंधी समस्याएं बनी हुईं हैं।’
निर्यात के लिए बेंचमार्क और किस्मों के लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल होने वाले शंकर-6 कपास की कीमतें शुल्क कटौती से पहले बढ़कर 1,00,000 रुपये प्रति कैंडी के करीब पहुंचने लगी थी।
उद्योग का मानना है कि कीमतें कम नहीं होंगी लेकिन इससे उत्पाद की उपलब्धता में सुगमता आएगी।
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा एम षणमुखम ने कहा, ‘कपास की जमाखोरी से एक कृत्रिम मांग पैदा की गई थी। इसके कारण से कपास की कीमतें 45,000 रुपये प्रति कैंडी से उछलकर 90,000 रुपये प्रति कैंडी पर पहुंच गई थी। कपास से जुड़े व्यापारी कीमतें बढ़ा रहे थे जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा था। शुल्क छूट के निर्णय से यह स्थिति सामान्य होगी।’
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि शंकर-6 कपास की प्रमुख किस्मों की कीमत प्रति कैंडी 91,000 रुपये से 95,000 रुपये के बीच हो गई थी जबकि सामान्यतया इस्तेमाल होने वाले आईसीई कपास की आयातित कीमत प्रति कैंडी 87,000 रुपये से 88,000 रुपये के बीच थी जिसमें लागत, बीमा और भाड़ा भी शामिल था।
दिल्ली स्थित टीटी लिमिटेड के संजय कुमार जैन ने कहा, ‘यह एक स्वागत योग्य कदम है हालांकि, यह निर्णय दो महीने की देरी से हुई है और मूल्य वर्धित उद्योग को काफी नुकसान हो चुका है। इससे कीमतें कम नहीं होंगी बल्कि इससे उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी।’
कपड़े के मूल्यवर्धित निर्यात को बढ़ावा मिलेगा : फियो
कपास आयात पर सीमा शुल्क की छूट देने के सरकार के फैसले से कपड़े के मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने गुरुवार को यह कहा। फियो अध्यक्ष ने कहा कि इस कदम से धागा और कपड़े की कीमतों में नरमी आएगी और परिधान तथा कपड़े के अन्य उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कपास आयात पर 30 सितंबर तक सीमा शुल्क की छूट देने की घोषणा की। इससे कपड़ा उद्योग के साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा। फिलहाल कपास आयात पर पांच प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) और पांच प्रतिशत का कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) लगता है। उद्योग घरेलू कीमतों में कमी लाने के लिए शुल्क से छूट की मांग कर रहा था।केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कपास आयात के लिए सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर से छूट को अधिसूचित किया है। शक्तिवेल ने कहा, ‘इससे सूती वस्त्र निर्यात को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कपास के ऊंचे दाम प्रतिस्पर्धा में बाधक बन रहे थे।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका और कई अन्य देशों में परिधान निर्यात में भारत ने अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है और संयुक्त अरब अमीरात तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता होने से इसे और बढ़ावा मिलेगा। भाषा