अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) से 50 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करने का भारत का फैसला कुछ बड़े तेल खपत वाले देशों के साथ गठबंधन की कवायद का हिस्सा है, जिससे तेल उत्पादन में कटौती का मुकाबला किया जा सके। उत्पादक देश प्रतिकूल कीमतों पर काबू पाने के लिए अक्सर ऐसा करते हैं। बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कच्चे तेल की कीमतों पर कम अवधि के हिसाब से सिर्फ 2 डॉलर प्रति बैरल का असर पड़ सकता है। लंबी अवधि के हिसाब से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका द्वारा जारी स्टॉक ऋण प्रवृत्ति का है, जिसे अगले साल भरना होगा।
इसके अलावा कच्चे तेल के उत्पादक देश इसे निष्क्रिय कर सकते हैं। पब्लिसिस सैपिएंट के उपाध्यक्ष आदित्य गांधी के मुताबिक अनुमान यह है कि मौजूदा जारी कच्चे तेल का कम अवधि से हिसाब से 2 डॉलर प्रति बैरल का असर पड़ेगा, लेकिन कीमतों पर दीर्घावधि के हिसाब से इसका नकारात्मक असर होगा क्योंकि यह ऋण है, जिसे अगले साल के शुरुआत में भरना होगा। उन्होंने कहा, ‘बहरहाल कम अवधि के हिसाब से यह भी संभव है कि ओपेक प्लस इसका असर कम करने के लिए पहली तिमाही में उत्पादन बढ़ाने की अपनी योजना वापस ले ले।’ अमेरिका अपने एसपीआर में से 500 लाख बैरल कच्चा तेल जारी करेगा, जो ईंधन के उच्च दाम कम करने की तेल उपभोक्ता देशों की साझा कार्रवाई का हिस्सा है। ह्वाइट हाउस ने कहा है कि चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन रणनीतिक तेल भंडार जारी करेंगे। ब्रिटेन ने कहा है कि वह कंपनियों को स्वैच्छिक रूप से 15 लाख बैरल जारी करने की अनुमति देगा। रणनीतिक भंडार से तेल जारी करने की घोषणाओं से बेअसर ब्रेंट की कीमत 81 डॉलर से ऊपर बनी हुई थी।
एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स एनलिटिक्स के चीफ जियोपॉलिटिकल एडवाइजर पॉल शेल्डन ने कहा, ‘बाजार पहले ही अक्टूबर के उच्च स्तर से नीचे है, एसपीआर जारी करने की धमकी का भी इस गिरावट में कु छ असर संभव है।’
उन्होंने कहा, ‘वास्तविक रूप से एसपीआर जारी करने का असर टिकाऊ होने की संभावना नहीं है क्योंकि इससे कोई नाटकीय बदलाव नहीं आएगा और ओपेक प्लस अपना उत्पादन बढ़ाने को कम इच्छुक होंगे।’ हालांकि उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर तेल जारी करने से कोरोनावायरस से जुडी मांग की अनिश्चितताओं को देखते हुए अल्पकालिक हिसाब से उत्प्रेरक का काम कर सकती है। हालांकि यह सबसे बड़े पैमाने पर जारी एसपीआर है, लेकिन यह बाजार की उम्मीद से कम है। गांधी ने कहा, ‘बाजार उम्मीद कर रहा था कि रणनीतिक भंडारों से 1,000 से 1,200 लाख बैरल के बीच कच्चा तेल जारी होगा, बहरहाल यह 650 से 800 लाख बैरल के बीच रह सकता है। चीन द्वारा जारी किए जाने वाले तेल की मात्रा अभी पता नहीं है और जारी किए जाने के वक्त को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है।’ एक और मसले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा जारी तेल मुख्य रूप से सोर क्रूड है, जबकि बाजार को स्वीट क्रूड की जरूरत है। ऐसे में इससे धारणा थोड़ी सी प्रभावित होगी, लेकिन कीमतों पर कोई बड़ा असर नहीं होगा।
इन वजहों का कीमतों पर कम अवधि के हिसाब से असर होगा। दीर्घावधि का मसला बहुत अलग है, जो ईवी की ओर जाता है। गांधी ने कहा कि जब तक कि तेल के इस्तेमाल के व्यापक विकल्प के रूप में ईवी नहीं आता है, तब तक बाजार की स्थिति सख्त बने रहने की संभावना है। एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स एनलिटिक्स ने ऊर्जा विभाग के आंकड़ों का हवाला देकर कहा है कि यूएस एसपीआर का स्टॉक 19 नवंबर को 6,045 लाख टन था, जिसमें से 58 प्रतिशत सोर क्रूड और 42 प्रतिशत स्वीट क्रूड है।
