मालवाहक वाहनों को काम नहीं मिलने का सीधा असर डीजल की बिक्री पर पड़ा है। इसके अलावा मंदी की मार के कारण पेट्रोल की बिक्री में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
दिल्ली में पेट्रोल की बिक्री में 10 फीसदी तो डीजल में 15 फीसदी तक की कमी आयी है। हालांकि हरियाणा में डीजल सस्ता होने के कारण दिल्ली में डीजल की बिक्री पहले से ही कम हो चुकी है।
पेट्रोल व डीजल विक्रेताओं के मुताबिक पेट्रोल व डीजल के दामों में कटौती के बाद भी बिक्री में कोई इजाफा दर्ज नहीं किया गया है। नवंबर माह में पेट्रोल की बिक्री में 10 फीसदी तक की कमी आयी है।
चार दिन पहले सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में हो रही लगातार गिरावट को देखते हुए चार दिन पहले पेट्रोल की कीमत में 5 रुपये प्रति लीटर तो डीजल में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी।
पेट्रोल व डीजल विक्रेता संघ के अध्यक्ष अतुल पेशावरिया कहते हैं, ‘मंदी ने सबको घेर रखा है। पेट्रोल व डीजल की कीमत में अभी और कटौती करने की गुंजाइश है।
व्यापारी वर्ग अपने खर्च में कटौती के लिए कार की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ गौरतलब है कि देश के लगभग 50 लाख मालवाहक वाहनों में 37 फीसदी वाहनों को इन दिनों काम नहीं मिल रहा है।
अखिल भारतीय मोटर कांग्रेस पहले ही सरकार से डीजल की कीमत में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की मांग कर चुकी है।
दूसरी बात यह है कि दिल्ली में हरियाणा के मुकाबले बिक्री कर अधिक होने के कारण डीजल 1.25 रुपये प्रति लीटर पहले से ही महंगा है।
पेशावरिया कहते हैं कि दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों के पेट्रोल पंपों के कारोबार में इस कारण पहले ही 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
पेट्रोल व डीजल विक्रेता संघ कई बार दिल्ली सरकार से बिक्री कर में कटौती की मांग कर चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। मंदी के कारण सबसे अधिक सीमा से सटे पेट्रोल पंपों के कारोबार में कमी आयी है। पेट्रोल व डीजल विक्रेता संघ को अब नई सरकार की नई नीतियों का इंतजार है।