जीरा होगा कमजोर
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग कम होने से उम्मीद जतायी जा रही है कि इस हफ्ते जीरे की कीमत में कमी होगी। बीते हफ्ते देश के लगभग सभी इलाकों में जीरे में कमजोरी दर्ज की गयी।
इसके चलते जीरे का वायदा भाव 13,000 रुपये प्रति क्विंटल की सीमा तोड़ इस स्तर से नीचे पर बंद हुआ। कमोडिटी विशेषज्ञों के मुताबिक, हाजिर बाजार में कम उठाव और बिकवाली दबाव के चलते अनुमान है कि जीरे की कीमत में अभी और कमी आएगी। इसके 12,500 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे चले जाने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
हालांकि, पिछले सोमवार एनसीडीईएक्स में सितंबर महीने का वायदा अनुबंध कमजोरी के साथ खुला। अगले दो सत्रों में इसमें खूब तेजी दर्ज हुई और यह 13,500 रुपये प्रति क्विंटल की सीमा को पार कर गया। लेकिन बाद में जीरे के उठान में जबरदस्त कमी हुई। पहले जहां बाजार में 55 किलो की 10 से 15 हजार बोरियों का उठान हो रहा था।
यह अचानक घटकर केवल 3 हजार बोरी प्रतिदिन रह गया। कोटक कमोडिटीज के एक विश्लेषक ने बताया कि पिछले हफ्ते जीरे का समर्थन स्तर 13 हजार रुपये प्रति क्विंटल था, जो इस हफ्ते प्रतिरोधी स्तर में बदल चुका है। इनके मुताबिक, जीरे का मूल्य 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकता है। वायदा कारोबार के अस्थिर रुख को देखते हुए खरीदारों ने तो नए ऑर्डर देने भी बंद कर रखे हैं। शनिवार को ठीक अगले महीने के लिए जीरे का भाव में 3 फीसदी की कमी हुई।
मक्के में नरमी का रुख
सोयाबीन और सोयामिल की कीमतों में कमी होने के अनुमान के चलते बीते हफ्ते मक्के की कीमतों में नरमी का रुख रहा। हालांकि सप्ताह के शुरुआती सत्रों में मक्के में मजबूती देखी गयी थी। अनुमान जताया जा रहा है कि अगले हफ्ते भी नरमी का रुख बना रहेगा। इसके मूल्य में कमी होने की वजह पॉल्ट्री उद्योग, जहां कुल उत्पादन के 80 फीसदी की खपत होती है, की ओर से मक्के की मांग का कम होना रहा।
दरअसल, मक्के के विकल्प के तौर पर जाने जानेवाले सोयाबीन और सोयामिल की कीमतों में इस समय नरमी का रुख है। कमोडिटी विश्लेषकों के अनुसार, मानसून की स्थिति में सुधार होने से खरीफ मक्के के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में वृद्धि होने का अनुमान है। इससे भी मक्के की कीमत पर साफ असर दिखा है।
नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवैटिव्स एक्सचेंज में ठीक अगले महीने के वायदा सौदे में मजबूती दर्ज की गई और इसका मूल्य 1,062 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। दूसरी ओर हाजिर बाजार में इसकी कीमतों में 10 से 30 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल रहा। शनिवार को अगस्त महीने वाले अनुबंध में 1.9 फीसदी की कमी हुई।