उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के बाद 21 जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो चली है।
माया सरकार ने जरूरी कदम उठाते हुए इन सभी जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया है। अच्छी बारिश के चलते धान की रोपाई इस महीने के अंत तक पूरी हो जाने की आशा थी, अब थम सी गई है।
अच्छे मौसम को देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने करीब 60 लाख हेक्टेयर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था, जिसके 25 जुलाई तक पूरा हो जाने की आशा जताई गई थी। लगातार बारिश के चलते अब तक बलरामपुर, सिध्दार्थनगर, बाराबंकी, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बलिया और देवरिया में कई लाख हेक्टेयर फसल बरबाद हो चुकी है।
प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के अनुसार अति संवेदनशील 11 जिलों में राहत के लिए 3-3 करोड़ रुपये और संवेदनशील 22 जिलों के लिए 2-2 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। गुप्ता के मुताबिक गोरखपुर और सिध्दार्थनगर जिलों में जितना पानी पूरे साल बरसता है, उतना अभी तक बरस चुका है। कई जिलों में बारिश ने पूरी फसल बरबाद कर दी है तो प्रदेश के कुछ हिस्सों से धान पौधे गलने की भी खबर है। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों को फिर से रोपाई की सलाह दी है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान गल जाने की दशा में खाली खेतों में उड़द और मूंग बोकर नुकसान को कुछ हद तक टाला जा सकता है। इसके अलावा कम समय में तैयार होने वाली धान की प्रजाति को सीधे बोकर भी नुकसान की भरपाई की जा सकती है। कृषि निदेशक राजित राम वर्मा ने भी ऐसी ही सलाह किसानों को दी है। वर्मा के अनुसार इस समय बाजार में धान की ऐसी प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो 130 से 140 दिन में तैयार हो जाती हैं।
इससे समय की बचत भी होती है और साथ में उपज को नुकसान कम होता है। मौसम विभाग ने अपनी भविष्यवाणी में बारिश के कुछ और दिन जारी रहने का अंदेशा जताया है। अगर बारिश एक सप्ताह और जारी रहती है, तो धान की फसल को भारी नुकसान होने की पूरी आशंका है।