गर्मी की सीजन की शुरुआत के साथ ही बिजली और कोयले की मांग रिकॉर्ड उच्च स्तर को छूने के आसार हैं। इस बीच रेल मंत्रालय ने का है कि वह कोयले की आपूर्ति के लिए रैकों की संख्या को बढ़ाने में सक्षम नहीं है।
पिछले वर्ष से ही रेलवे गैर-विनियमित क्षेत्रों को रैक आपूर्ति में कमी कर रहा है ताकि विद्युत क्षेत्र की बढ़ी हुई मांग को पूरा किया जा सके।
मंत्रालय का मानना है कि रैकों में अब और अधिक कटौती करने पर प्रमुख अवसंरचना उद्योगों को मुश्किल पेश आएगी।
नैशनल पावर पोर्टल के मुताबिक बिजली इकाइयों में कोयला स्टॉक का मौजूदा औसत 9.4 दिनों का है जो कि मांग बढऩे पर सात दिनों के स्टॉक के करीब है। धातु से लेकर कागज तक विभिन्न गैर-विनियमित क्षेत्रों ने दावा किया है कि उन्हें कोयले की कम आपूर्ति की जा रही है। उन्हें उनकी मांग का 30 से 40 फीसदी कोयला ही मिल पा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेलवे बिजली क्षेत्र को जितने रैकों की आपूर्ति कर सकता है वह उस सीमा तक पहुंचने के करीब है।
अधिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि कोयला मंत्रालय उन मुद्दों का समाधान करे जिनकी वजह से रोजाना करीब 76,000 टन कोयले की आपूर्ति में मुश्किल आ रही है।’
बिजनेस स्टैंडर्ड ने हाल ही में खबर दी थी कि कोयला मंत्रालय ने मांग और आपूर्ति में विसंगति की जिम्मेदारी रेलवे के ऊपर डाल दी है।
