कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को कोयले की दिक्कत होने के बाद रेल रैक कोयले की ढुलाई में लगाए जाने के बाद ओडिशा व कर्नाटक की घरेलू स्टील कंपनियां रेल रैक की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में ज्यादा मांग वाले सीजन में बाजार में माल पहुंचाने में समस्या हो रही है।
जिंदल स्टील के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले 2 महीने से रेल रैक की 50 प्रतिशत से ज्यादा कमी है। हम प्रतिदिन करीब 7 रैक इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब हमें महज 2-3 रैक मिल रहे हैं।’
नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील ऐंड पावर का अंगुल में संयंत्र है, जबकि सरकारी कंपनी स्टील अथॉलिटी आफ इंडिया (सेल) का राउरकेला और टाटा के 3 संयंत्र कलिंगनगर, जमशेदपुर और अंगुल में हैं। सभी ओडिशा में स्थित हैं।
शर्मा ने कहा, ‘रैक की कमी की वजह से तैयार माल की डिलिवरी खासकर उत्तर भारत के बाजार में डिलिवरी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। राजस्थान, लुधियाना, पंजाब के बाजारों में समय से माल नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि यह मांग का मौसम है।’
इसके अलावा उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न संयंत्रों में भंडार जमा होना भी एक मसला है।
ओडिशा स्थित अंगुल स्टील संयंत्र के एक सूत्र ने कहा, ‘संयंत्र में गोदाम हैं, साथ ही ग्राहकों के लोकेशन हैं। लेकिन इसकी एक निश्चित क्षमता है। अगर सामग्री समय से नहीं उठाई जाती है तो भंडारण और उसे खाली करना एक समस्या बन जाएगी और यह एक लॉजिस्टिक कठिनाई होगी।’
इस सिलसिले में टाटा स्टील से मांगी गई जानकारी का कोई जवाब नहीं मिला। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि रेलवे के साथ बातचीत चल रही है, जिससे कि स्टील संयंत्रों को रैक की आपूर्ति सामान्य हो सके।
इस मामले के जानकार रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक देश में रेल रैक की आपूर्ति अभी कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एचएलईसी) के दिशानिर्देशों के मुताबिक की जा रही है। इस समिति का गठन ताप बिजली संयंत्रों पर दबाव दूर करने के मकसद से की गई थी, जो इस साल की शुरुआत में हुआ था। परिचाल से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले सप्ताह तक गैर बिजली क्षेत्र में रैक की कमी की समस्या नजर आई थी। अब ऐसा कुछ नहीं है। एचएलईसी रैक की तैनाती ताप बिजली संयंत्रों के लिए करने पर प्राथमिकता दे रही है, जिससे भविष्य में होने वाले किसी भी बिजली संकट को टाला जा सके।’
हालांकि रेल यातायात के सड़क जैसे विकल्प का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि ढुलाई के वैकल्पिक साधनों को अपनाना आसान नहीं है।
अंगुल स्टील संयंत्र के अधिकारी ने कहा, ‘जब बड़े पैमाने पर इवैकुएशन की बात आती है तो रेल की जगह सड़कें नहीं ले सकती हैं। इससे (सड़क) से केवल बढ़ी मांग की आपूर्ति की जा सकती है। ऐसे में इस तरह की कमी की स्थिति में ढुलाई के माध्यम में बदलाव करना संभव नहीं है।’
कर्नाटक में भी स्टील उत्पादकों की स्थिति कुछ अलग नहीं है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘तैयार माल का करीब 70 प्रतिशत रेल के माध्यम से भेजा जाता है और शेष सड़क मार्ग से। सड़क मार्ग को अपनाना भी चुनौती है क्योंकि सड़कें खराब हैं और साथ ही इससे ढुलाई का वक्त बढऩे के साथ लॉजिस्टिक्स लागत में भी बढ़ोतरी होगी।’ सज्जन जिंदल का जेएसडब्ल्यू संयंत्र कर्नाटक के विजयनगर में स्थित है।
लॉजिस्टिक्स लागत को देखते हुए उद्योग के अधिकारियों ने का विचार है कि अगर रेल रैक की कमी बनी रहती है तो इससे आने वाले महीनों में स्टील की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘इस समय हम रेल रैक की आपूर्ति बहाल किए जाने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन अगर कमी जारी रहती है तो हमें जिंस की कीमत की समीक्षा करनी होगी।’ पिछले 3 महीने में स्टील की कीमतों में 2,500 रुपये प्रति टन की गिरावट आई है, जबकि हॉट रोल्ड कॉइल की कीमत 66,000 रुपये प्रति टन है।
