पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के केंद्र सरकार के निर्णय से पेट्रोल पंप मालिक परेशान हैं क्योंकि पहले से खरीदे गए पेट्रो उत्पादों के भंडार पर उन्हें नुकसान झेलना पड़ेगा। ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पेट्रोल पंप मालिक तेल कंपनियों से जब तेल खरीदते हैं तो उसकी कीमत में केंद्र और राज्य सरकार के शुल्क भी शामिल होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘उत्पाद शुल्क में भारी भरकम कटौती से हमें खासा नुकसान हुआ है। राज्य सरकार मूल्य वर्धित कर (वैट) वसूलती है, जिसकी वापसी का दावा किया जा सकता है और डीलरों द्वारा किया गया अतिरिक्त भुगतान हर तिमाही में वापस मिल जाता है। मगर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में अतिरिक्त रकम के भुगतान का दावा करने की कोई व्यवस्था नहीं है।’ केंद्र सरकार ने बुधवार देर शाम पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की थी। नई दरें गुरुवार से प्रभावी हो गई हैं जिससे दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा दाम घटकर 103.97 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम घटकर 86.67 रुपये प्रति लीटर पर आ गया है। बंसल ने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती का निर्णय अचानक लिए जाने से देश भर के प्रत्येक डीलर को प्रति पेट्रोल पंप औसतन करीब 1.5 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। अधिकतर डीलरों ने दीवाली पर बिक्री बढऩे की उम्मीद से ज्यादा मात्रा में पेट्रोल और डीजल खरीद लिए थे।’ डीलरों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 2.58 रुपये और पेट्रोल पर 3.85 रुपये प्रति लीटर कमीशन मिलता है। उत्पाद शुल्क में कटौती से पहले खरीदे गए भंडार पर उन्हें नुकसान उठाना होगा क्योंकि अब उन्हें कम कीमत पर इसकी बिक्री करनी होगी। डीलर आम तौर पर तीन दिन का पेट्रोल एवं डीजल का भंडार रखते हैं।
ऐसा भी नहीं है कि पेट्रोल-डीजल के दाम में उतार-चढ़ाव से उन्हें फायदा नहीं हुआ है। तेल विपणन कंपनी के एक वरिष्ठ कार्याधिकारी ने कहा, ‘कच्चे तेल के दाम बढऩे की वजह से ईंधन की कीमत बढऩे की उम्मीद में डीलर अपना भंडार बढ़ा लेते हैं। इससे उन्हें तय मार्जिन से ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। लेकिन उत्पाद शुल्क की कटौती से उन्हें थोड़ी चपत लगेगी।’ उन्होंने कहा कि यह कारोबार से जुड़ा जोखिम है।
केंद्र सरकार ने पिछली बार मार्च और माई 2020 में उत्पाद शुल्क में बदलाव किया था। उस समय दो बार में पेट्रोल पर 13 रुपये और डीजल पर 15 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क बढ़ाया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने के मद्देनजर शुल्क में इजाफा किया गया था। बंसल ने कहा, ‘डीलरों को उत्पाद शुल्क में कटौती का लाभ नहीं मिला था क्योंकि तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने के बजाय शुल्क में बढ़ोतरी का भार खुद वहन किया था।’ बंसल ने कहा, ‘उत्पाद शुल्क में कटौती के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल का दाम 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है। केंद्र और राज्य सरकार को पेट्रोल एवं डीलर के दाम को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और देश भर में इसके दाम समान होने चाहिए। ग्राहक पेट्रोल के लिए 70 से 80 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 60 से 70 रुपये प्रति लीटर देने में सहज हैं। देश भर में ईंधन के दाम एकसामन करने के लिए इसे वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाना सही उपाय हो सकता है।’
