इस सीजन में अत्यधिक गर्मी की वजह ने औद्योगिक खिलाड़ियों को साल 2008-09 के अरंडी उत्पादन के आकलनों में सुधार करने के लिए बाध्य कर दिया है।
तापमान में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए शीर्ष औद्योगिक इकाई सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) का अनुमान है कि अरंडी के उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि गुजरात और राजस्थान में गर्मी बढ़ने से अरंडी के उत्पादन पर असर पडा है। राजस्थान और गुजरात अरंडी उत्पादन के मामले में प्रमुख राज्य हैं।
सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘आम तौर पर अरंडी के फसल की कटाई साल में चार से पांच बार की जाती है। फरवरी से मार्च की अवधि में की गई चुनाई में तापमान बढ़ने के कारण कमी आई है। गुजरात और राजस्थान में लू चलने की वजह से हमारा अनुमान है कि उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी आएगी।’
फरवरी में अरंडी के शीर्ष कारोबारी इकाई का आकलन था कि साल 2008-09 में अरंडी का कुल उत्पादन 11 लाख टन रहेगा और आकलित रकबा 82.6 लाख हेक्टेयर का था। मेहता ने कहा, ‘अरंडी के उपज पर लू के प्रभावों के अध्ययन के लिए हमने दोबारा सवेंक्षण कराया है। प्रमुख वजह यह है कि हमारा आकलन शुरुआती तीन चुनाई के उत्पादन पर आधारित है। ज्लद ही हम नए सर्वेक्षण के परिणामों के साथ आएंगे।’
एसईए के अरंडी की साल 2008-09 फसल के सर्वेक्षण, जिसे फरवरी में राजकोट में हुए सातवें इंटरनैशनल सेमिनार ऑन कैस्टर सीड में जारी किया गया था, के अनुसार औसत उपज 1,331 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान किया गया था जबकि साल 2007-08 में यह 1,216 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था।
वर्तमान में, आरंडी की फसल बाजार में आ रही है और यह मई के अंत तक या जून के शुरुआत तक जारी रह सकती है। अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज के अध्यक्ष प्रवीण ठक्कर ने कहा, ‘गुजरात और राजस्थान में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां अरंडी की फसल अभी खड़ी है। लू से इन फसलों को भी नुकसान पहुंचेगा।’
