दक्षिण भारत के तीन प्रमुख राज्यों में गन्ने की पेराई करीब खत्म होने वाली है।
वर्तमान चीनी सत्र (अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009) में सात महीने में ही पेराई का काम करीब पूरा हो चुका है। पहले पेराई बंद होने का कारण है कि गन्ने का उत्पादन कम क्षेत्रफल में बुआई के चलते कम हुआ है। साथ ही उत्पादकता और रिकवरी भी कम रही।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की ज्यादातर चीनी मिलों ने पेराई का काम मार्च के अंत में बंद कर दिया। बहरहाल तमिलनाडु में स्थिति थोड़ी बेहतर है, जहां पेराई एक महीने ज्यादा हुई। कर्नाटक में 54 मिलों ने पेराई शुरू की थी, जिसमें से 50 में पहले ही काम बंद हो चुका है, वहीं आंध्र प्रदेश में 37 में से 35 मिलों ने काम बंद कर दिया है।
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु में 38 मिलों ने पेराई का काम शुरू किया था, जहां मार्च के अंत तक पेराई का काम चला है और अभी भी पेराई का काम चल रहा है। इन तीन राज्यों में चालू वर्ष में चीनी का उत्पादन 40 लाख टन है, जो पिछले साल की तुलना में 38 प्रतिशत कम है।
कर्नाटक में मिलों ने अप्रैल के मध्य तक 154 लाख टन गन्ने की पेराई की और कुल 16.7 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। यहां पिछले साल की तुलना में उत्पादन में 26.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। चीनी की रिकवरी 10.66 प्रतिशत रही, जो पिछले साल 10.86 प्रतिशत रही थी।
अभी चार मिलों में पेराई का काम चल रहा है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 60,000 टन गन्ने की पेराई और हो सकती है और चीनी का उत्पादन 17 लाख टन और हो सकता है। अगर राज्य में 29 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है तो इसमें पिछले साल की तुलना में 41 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
मार्च के अंत तक कुल 153.2 लाख टन गन्ने की उपलब्धता थी, जबकि पिछले साल 204.6 लाख टन गन्ने की उपलब्धता रही। इस लिहाज से गन्ने की उपलबध्ता में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। सूत्रों ने कहा कि हम अपने 17 लाख टन चीनी के उत्पादन के वर्तमान लक्ष्य में संशोधन करने की स्थिति में नहीं हैं।
आंध्र प्रदेश की मिलों ने 5,90,000 टन चीनी का उत्पादन फरवरी तक किया, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 55.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। गन्ने की उपब्धता 59 लाख टन की रही, जिसमें पिछले सत्र की तुलना में 56 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल के 9.86 प्रतिशत रिकवरी की तुलना में वर्तमान वर्ष की रिकवरी मामूली बढ़कर 9.88 प्रतिशत हो गई है।
तमिलनाडु में फरवरी 2008 के अंत तक मिलों ने 17 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत की गिरावट आई है। राज्य में गन्ने की उपलब्धता 71 लाख टन रही, जबकि पिछले साल 92.3 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। इसमें करीब 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
चीनी की रिकवरी पिछले साल के 9.32 प्रतिशत की तुलना में थोड़ी बेहतर 9.70 प्रतिशत रही है। सूत्रों ने कहा कि देर से पेराई शुरू होने के चलते 39 में से 35 मिलें अभी भी चल रही हैं। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने चीनी उत्पादन के लक्ष्य को संशोधित करके 144.7 लाख टन कर दिया है।
