स्टील की बढ़ती कीमतों पर मंत्रालय और उत्पादकों के बीच चल रही रस्साकशी के बाद लगता है दोनों ने ही ‘शांति’ का रास्ता अख्तियार करने का फैसला ले लिया है।
घरेलू बाजार में स्टील की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्टील उत्पादकों की असोसिएशन इंडियन स्टील अलायंस (आईएसए) ने खुद ही तत्काल प्रभाव से स्टील का निर्यात न करने का फैसला लिया है।इंडियन स्टील अलायंस के प्रेजिडेंट मूसा रजा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि असोसिएशन ने इस बाबत नोट जारी किया है और इसके तहत उत्पादक खुद ही स्टील का निर्यात नहीं करेंगे, हालांकि इनकेऊपर कोई दबाव नहीं होगा।
इसके साथ ही स्टील उद्योग ने अस्थायी कदम केतहत निर्यात को प्रोत्साहित नहीं करने का फैसला लिया है ताकि आयात कर व डीईपीबी के लाभ की समाप्ति को समर्थन दिया जा सके।इन दोनों मुद्दों पर केंद्रीय स्टील मंत्रालय ने बहस छेड़ा है ताकि स्टील की कीमतों में जनवरी से लगातार हो रही बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सके। स्टील सेक्रेटरी आर. एस. पांडेय ने आईएसए के कदम का स्वागत किया है और कहा है कि इन मुद्दों पर हम आगे भी बातचीत करेंगे।
हालांकि आईएसए ने साफ किया कि आगामी एक अप्रैल से लागत में बढ़ोतरी होनी तय है और इस तरह हम यह आश्वासन नहीं दे सकते कि स्टील की कीमतों में इजाफा नहीं किया जाएगा। रजा ने कहा कि स्टील उद्योग ने खुद ही निर्यात न करने का फैसला लिया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि निर्यात बिल्कुल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि के समझौते और एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (ईपीसीजी) के तहत होने वाला निर्यात जारी रहेगा क्योंकि इसकेलिए उत्पादक कानूनी रूप से बंधे होते हैं।
भारत फिलहाल करीब 45-50 लाख टन स्टील का निर्यात करता है जबकि कुल उत्पादन 5.6 करोड़ टन का है। आईएसए ने सरकार से कहा है कि वह स्टील उत्पादन की कपैसिटी बढ़ाने की तरफ ध्यान दे। साथ ही यह भी सलाह दी है कि सरकार उत्पाद कर में कटौती करे और कच्चे माल के आयात पर लगने वाले टैक्स में भी कमी करे। पांडेय ने बताया कि स्टील मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए मंगलवार को सचिवों की समिति की बैठक हुई, लेकिन इसमें कोई फैसला नहीं हो पाया।
उद्योग के सूत्रों ने बताया कि कमिटी का मानना है कि कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर माल तैयार होने तक की पूरी श्रृंखला का विस्तार से अध्ययन किया जाना चाहिए। उत्पादकों ने जनवरी में स्टील की कीमतों में 600-900 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की थी जबकि फरवरी में 2000 रुपये प्रति टन की। इसके बाद उत्पादकों ने इसमें आंशिक कटौती की थी।
स्टील हुआ सस्ता
इस्पात उत्पादकों द्वारा निर्यात बंद करने पर सहमति जताने के एक दिन के बाद पंजाब में इस्पात की कीमतों में बुधवार को 2000 रुपये प्रति मीट्रिक टन (एमटी) की गिरावट हुई। पंजाब के कारोबारियों को उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन और गिरावट आएगी।
मंडी गोविंदगढ़ स्थित इस्पात कारोबारियों ने कहा कि इंडियन स्टील अलायंस द्वारा इस घोषणा के बाद कीमतों में गिरावट आई कि इस्पात उत्पादक इस्पात का निर्यात तुरंत रोक देंगे।