देसी हाइड्रोकार्बन उद्योग को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में भविष्य में नया निवेश लाने के मकसद से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज तेल उत्पादकों को देसी बाजार में किसी भी कंपनी को कच्चा तेल बेचने की आजादी दे दी।
सरकार के इस कदम का लाभ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्पादक कंपनियों ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और निजी क्षेत्र की कंपनियों जैसे वेदांत की केयर्न ऑयल ऐंड गैस तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज को मिलेगा। भारत अपनी जरूरत का 86 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और शेष 14 फसदी देश में ही निकलता है। हालांकि तेल उत्पादकों को मनचाही कंपनी को तेल बेचने की इजाजत दे दी गई है मगर उन्हें देश से कच्चे तेल का निर्यात करने की अनुमति नहीं होगी।
पहले उत्पादन साझेदारी अनुबंध के आधार पर कंपनियां केवल सरकार या उसके द्वारा नामित कंपनियों या सरकारी कंपनियों को ही कच्चा तेल बेच सकती थीं। केपीएमजी इंडिया में नैशनल लीडर (ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन एवं रसायन) तथा केपीएमजी में ग्लोबल सेक्टर लीडर (पावर एवं यूटिलिटीज) अनीश दे ने कहा, ‘हम आयातक देश हैं, इसलिए मार्केटिंग की आजादी देने से सरकारी खजाने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले सरकार तय करती थी कि किसे कितना कच्चा तेल मिलेगा, लेकिन अब उत्पादक को खरीदार तय करने की स्वतंत्रता होगी। इससे तेल उत्पादन क्षेत्र पर लगी सभी पाबंदियां खत्म हो जाएंगी।’
सरकारी बयान के अनुसार इस कदम से सभी उत्खनन एवं उत्पादक कंपनियों को कच्चा तेल बेचने की आजादी मिल जाएगी। इसमें कहा गया है कि उत्पादन साझेदारी अनुबंध के तहत सरकार या उसके द्वारा नामित कंपनियों या सरकारी कंपनियों को कच्चा तेल बेचने की बाध्यता खत्म हो जाएगी।
सभी उत्पादक कंपनियां अब अपने इलाके से निकला कच्चा तेल देसी बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी। रॉयल्टी और उपकर जैसी सरकारी कमाई की गणना पहले की ही तरह सभी अनुबंधों के आधार पर की जाएगी।
उद्योग विशेषज्ञों ने संकेत दिया कि इस निर्णय से क्षेत्र में ज्यादा निवेश आएगा और आगे चलकर देसी कच्चे तेल के लिए एक्सचेंज और ई-नीलामी की व्यवस्था भी लागू करनी पड़ सकती है। हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी के प्रबंध निदेशक पी एलांगो ने कहा, ‘हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। इससे ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को सबसे ज्यादा लाभ होगा। अभी तक कच्चे तेल के बाजार में खरीदारों की चलती थी मगर अब कीमत तय करने की ताकत विक्रेता के पास आ सकती हैं। इसकी वजह से ई-नीलामी जैसी व्यवस्था भी शुरू हो सकती है।’
भारत में उत्खनन क्षेत्र को पहले ही खुली लाइसेंसिंग नीति और छोटे क्षेत्र की खोज व्यवस्था के तहत मार्केटिंग और मूल्य निर्धारण की आजादी मिली हुई है। नए निर्णय से नई उत्खनन लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) और नेल्प से पहले की व्यवस्था के तहत कच्चा तेल बेचने और कीमत तय करने की भी आजादी मिल जाएगी। 2021-22 में देश में 2.97 करोड़ टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ था, जबकि 21.2 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया गया था। सरकार ने बयान में कहा कि इस निर्णय से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और तेल एवं गैस क्षेत्र के उत्खनन में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
