सरकार द्वारा पिछले सप्ताह निजी कंपनियों को सार्वभौमिक सेवा दायित्व (यूएसओ) के अंतर्गत लाने के बावजूद रविवार को भी देश भर में पेट्रोल पंपों में कमी नजर आई। जहां पिछले सप्ताह मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक मुख्य रूप से प्रभावित हुए थे, वहीं दूसरी ओर अब तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कश्मीर और अन्य राज्यों से भी ईंधन की कमी की खबरें आ रही हैं।
जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी निजी ईंधन खुदरा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग के संगठन – फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (एफआईपीआई) ने यह कहते हुए सरकार से संपर्क किया है कि घाटा निजी कंपनियों की आगे निवेश और विस्तार करने की क्षमता को सीमित कर देगा। एफआईपीआई ने कहा था कि दामों में संशोधन नहीं होने की वजह से कंपनियों को डीजल पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर प्रति लीटर 14 से 18 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स (एफएआईपीटी) के अशोक बधवार ने कहा ‘निजी क्षेत्र की कंपनियों ने आपूर्ति पूरी तरह से रोक दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के पंपों को कंपनियों की ओर से आपूर्ति की कमी नजर आ रही है। इसकी वजह से अब लगभग सभी राज्यों में संकट पैदा हो गया है।’
उद्योग के सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) में अब औसत दैनिक आपूर्ति में 20 प्रतिशत का इजाफा देख रहा है। डीलरों द्वारा शिकायतों के संबंध में पूछे जाने पर सरकार द्वारा संचालित एक प्रमुख कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीलरों द्वारा की गई सभी निष्पादन योग्य मांग को क्रियान्वित किया जा रहा और सभी आपूर्ति स्थलों पर पर्याप्त उत्पाद उपलब्ध हैं। मांग में इस इजाफे को पूरा करने के लिए स्थलों पर सामान्य कामकाजी घंटों से ज्यादा काम किया जा रहा है। कृषि गतिविधियों के कारण सीजन संबंधी उछाल की वजह से मांग में वृद्धि हुई है। पर्यटन पूरे जोरों पर है और पर्यटन स्थलों में बिक्री रिकॉर्ड शीर्ष स्तर पर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में इस साल 1 से 16 जून के बीच डीजल और पेट्रोल की बिक्री में क्रमशः 44 प्रतिशत और 42 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
अधिकारी ने कहा कि ‘इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि निजी तेल कंपनियों के पास बाजार में बड़ा खुदरा नेटवर्क मौजूद है और निजी क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर कमी/अधिक दामों की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों वाली तेल विपणन कंपनियों की ओर पेट्रोल और डीजल दोनों की ही मात्रा में खासा स्थानांतरण हुआ है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखकर राज्य में पेट्रोल और डीजल की नियमित आपूर्ति की मांग की। उन्होंने कहा कि करीब चार से पांच दिनों के बफर स्टॉक की तुलना में राज्य में पेट्रोल पंपों पर अभी केवल एक दिन का ही स्टॉक नजर आ रहा है। उन्होंने कृषि क्षेत्र को आपूर्ति के संबंध में भी चिंता जताई है।
पिछले सप्ताह सरकार ने सार्वभौमिक सेवा दायित्वों (यूएसओ) का विस्तार निजी क्षेत्रों के लिए भी कर दिया था। इसके जरिये पेट्रोल पंपों को निर्दिष्ट कार्य घंटों पर और उचित मूल्य पर आपूर्ति बनाए रखनी होगी। मीडिया की खबरों और सूत्रों के मुताबिक रविवार को ईंधन उपलब्ध कराने वाले निजी पेट्रोल पंप, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों वाले पेट्रोल पंपों की तुलना में अधिक कीमत पर उपलब्ध करा रहे थे। ईंधन के दाम 21 मई से अपरिवर्तित रहे हैं, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में प्रति लीटर आठ रुपये और डीजल पर प्रति लीटर छह रुपये कटौती की घोषणा की थी।
