केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने बिजली इकाइयों को कोयला आयात करने के बदले प्रतिपूरक शुल्क वसूलने की अनुमति प्रदान की है। इसमें राज्य सरकार के स्वामित्व वाली और निजी स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां (जेनको) दोनों ही शामिल होंगी।
आदेश में कहा गया है कि धारा 63 के तहत बिजली आपूर्ति करने वाली उत्पादन कंपनियों द्वारा इस कार्यविधि का इस्तेमाल किया जाएगा तथा राज्य सरकारों को आयातित कोयले के साथ मिश्रण की वजह से इस मुआवजे की गणना करनी होगी। इन संयंत्रों के लिए बिलिंग और भुगतान की व्यवस्था पीपीए के अनुसार होगी।
बिजली मंत्रालय द्वारा यह निर्देश विद्युत अधिनियम की धारा 11 के तहत जारी किया गया है।
हाल ही में इस समाचार-पत्र ने बताया था कि कोयले का आयात करने से सरकार के स्वामित्व वाली एनटीपीसी की ईंधन लागत में प्रति यूनिट सात से आठ रुपये तक का इजाफा हो जाएगा। साथ ही अंतिम शुल्क 50-70 पैसे तक बढ़ जाएगा और इसे उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाएगा। विद्युत अधिनियम की धारा 63 के तहत प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये निर्मित लगभग 32 गीगावाट के बिजली संयंत्र हैं।
एनटीपीसी के विपरीत, जो धारा 62 के अधीन आती है, ये इकाइयां विनियामकीय अनुमति के बिना शुल्क नहीं लगा सकती हैं। इन इकाइयों ने बिजली मंत्रालय से कहा था कि वे कोयले की जो लागत वहन कर रही हैं, उसे अंतिम उपभोक्ता शुल्क के माध्यम से उपभोक्ता पर डालने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बिजली मंत्रालय ने अपने नोट में कहा है कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के साथ परामर्श से एक कार्यविधि को अंतिम रूप दिया गया है, जिस पर 20 मई को हितधारकों के साथ बैठक में चर्चा की गई थी। इस चर्चा के आधार पर सीईआरसी (केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) द्वारा अपनाई जा रही मौजूदा कार्यविधि के अनुरूप बनाने के लिए इस कार्यविधि को संशोधित किया गया है।
