पिछले कुछ हफ्तों से घरेलू बाजार में सोयाबीन के दामों में वृद्घि होने से इस आरोप को बल मिला है कि सटोरिये जिंस बाजारों में दाम में हेराफेरी कर रहे हैं। इससे पोल्ट्री और पशुधन उद्योग नाराज हो गया है क्योंकि सोयाबीन जानवरों के भोजन का मुख्य हिस्सा है। हालांकि ऐसे समय पर दाम में उछाल आना किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है, जब वे फसल की बुआई कर रहे हैं। वहीं इस कारोबार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्घि होना पूरी तरह से सामान्य घटना नहीं है। वे मानते हैं कि इसके लिए जिंस एक्सचेंजों में सट्ïटेबाजी भी जिम्मेदार है।
खरीफ की प्रमुख फसलों में से एक सोयाबीन की बुआई जून के मध्य से ही पिछड़ रही है जिसकी वजह सोयाबीन के बड़े रकबे वाले राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की धीमी रफ्तार रही है। जुलाई तक फसल की बुआई करीब 1.25 करोड़ हेक्टेयर में हुई है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 8.7 फीसदी कम है। रकबे में सबसे बड़ी 10 लाख हेक्टेयर से अधिक की गिरावट मध्य प्रदेश में आई है जो कि सोयाबीन का उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा राज्य है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने अपने फसल अनुमान रिपोर्ट में कहा, ‘मॉनसून की देरी से सोयाबीन की बुआई राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रभावित हुई है। इसके कारण पिछले वर्ष के मुकाबले कम बुआई हुई है और किसानों ने इसकी जगह अन्य फसलों की बुआई की है।’ सोपा ने 16 जुलाई को अनुमान जताया था कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन के रकबे में 2020 के मुकाबले 10 फीसदी की कमी आ सकती है।
ऐसा इसलिए है कि किसानों ने इसकी जगह चना, मक्का और मूंग की बुआई की है। सोयाबीन की जगह अन्य फसलों की बुआई को प्रमुखता देने की सबसे बड़ी वजह सोयाबीन के बीज की ऊंची कीमत और अच्छी गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज की अनुपलब्धता है।
सोपा के चेयरमैन दाविश जैन ने एनसीडीईएक्स को लिखे पत्र में कहा, ‘भले ही तेल वर्ष 2020-21 के लिए आपूर्ति-मांग थोड़ा कड़ा है लेकिन वह पिछले कुछ महीनों में नजर आए कीमत वृद्घि का समर्थन नहीं करता है। एनसीडीईएक्स के गोदामों में कोई भौतिक स्टॉक नहीं है। इससे भी सट्ïटेबाजी की आशंका को बल मिलता है।’
उन्होंने मांग की कि अटकलबाजी पर अंकुश लगाने के लिए लीन सीजन कॉन्ट्रैक्ट पर मार्जिन मनी को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाना चाहिए जबकि सर्किट सीमा को हर दिन 2 फीसदी कम किया जाना चाहिए। सोपा ने एक वक्तव्य में कहा कि पिछले सात कारोबारी सत्रों में एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन वायदा कॉन्ट्रैक्ट 21.77 फीसदी ऊपर गया है और चार बार ऊपरी सर्किट लगाना पड़ा है।
आंकड़ों से पता चलता है कि सोयाबीन हाजिर बाजारों में सोयाबीन के भावों में जून के मध्य से अब तक के बीच 23 फीसदी की वृद्घि हुई है।
इस बीच पोल्ट्री और पशुधन उद्योग ने भी सोयाबीन के दाम में लगातार तेजी बनी रहने के खिलाफ शिकायत की है क्योंकि इससे उनके मुनाफे को चोट पहुंच रही है। अखिल भारतीय कुक्कुट उत्पादक संघ ने केंद्र को सौंपे अपने प्रतिवेदन में सोयाबीन की बढ़ी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तुरंत 12 लाख टन सोयाबीन के आयात की अनुमति देने की मांग की है।
पोल्ट्री उद्योग के मुताबिक इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच सोयाबीन के औसत भाव में 64 फीसदी की वृद्घि हो चुकी है।
राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति (एनईसीसी) के संजीव चिंतावर ने कहा, ‘मक्के की जो कीमत जनवरी से फरवरी 2021 के दौरान 1,550 रुपये से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल थी अब करीब 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी है जबकि सोयाबीन के भाव इस अवधि में 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम से 93 रुपये प्रति किलोग्राम पर जा चुके हैं। फार्म पर अंडे की कीमत 5 रुपये प्रति अंडे से घटकर 4.55 रुपये रह गई है।’