लंबे समय से खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत से जूझ रहे उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर भी है। आने वाले महीने में आलू की कीमत में गिरावट आने वाली है। लंबे समय तक जाड़े के मौसम के टिके रहने और बेहतर खेती की बदौलत इस साल पश्चिम बंगाल में आलू की रेकॉर्ड पैदावार हुई है।
राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक, इस साल राज्य में आलू की पैदावार करीब 80 लाख टन की होगी जबकि पिछले साल 50.52 लाख टन की पैदावार हुई थी। इस तरह इस साल आलू की पैदावार में पिछले साल के मुकाबले करीब 60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी। ये उत्पादन फसल क्षेत्र में कटौती के बाद हुई है।
पिछले साल 4.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की फसल लगाई गई थी जबकि इस बार सिर्फ 3.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में। ऐसी स्थिति में बाजार में निश्चित रूप से आलू की सप्लाई बढ़ेगी और इसकी वजह से कीमतों में गिरावट दर्ज किए जाने की संभावना है।
फिलहाल यहां के बाजार में ज्योति कुफरी वेरायटी का आलू 5 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है जबकि पिछले साल यह 7-8 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा था। अगर थोक बाजार की बात करें तो 50 किलो का बैग 160 रुपये में मिल रहा है जबकि पिछले साल इसकी कीमत 240 रुपये थी। अभी सिर्फ 25 फीसदी फसलों की ही कटाई हुई है और यह कोल्ड स्टोरेज पहुंच गया है।
पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज असोसिएशन के वाइस प्रेजिडेंट पाटिल पवन डे के मुताबिक
, पहले उत्पादक और व्यापारी इस फसल को स्टोर करने में भरोसा नहीं करते थे क्योंकि उन्हें कीमत में गिरावट का डर रहता था। उन्होंने कहा कि अच्छे मौसम और सही समय यानी नवंबर में हुई बारिश के चलते इस साल आलू केलिए फलदायी साबित हुई है। व्यापारियों को हालांकि लगता है कि अच्छी पैदावार के चलते इसकी कीमत में निश्चित रूप से गिरावट आएगी। वैसे अभी लग रहा है कि कीमतें स्थिर रहेंगी।
पिछले साल ब्लाइट बीमारी ने आलू की फसल चौपट कर दी थी और इसने आलू केकुल फसल क्षेत्र के 85 फीसदी हिस्से को प्रभावित किया था। साथ ही पंजाब से लाए गए खराब बीज ने भी आलू की फसल को नुकसान पहुंचाया था। डे ने बताया कि इस साल सिर्फ 35 फीसदी बीज ही पंजाब से मंगाए गए हैं। इस साल ब्लाइट बीमारी का भी प्रकोप नहीं है। उन्होंने कहा कि शुरुआती समय में ब्लाइट का हमला हुआ था, लेकिन इससे सिर्फ 5 फीसदी फसल ही खराब हुई है। राज्य में करीब 45 लाख टन आलू की खपत होती है। राज्य में कोल्ड स्टोरेज की कुल संख्या 370 है और इसकी कुल कपैसिटी 53 लाख टन की है।