आलू की फसल की मानवीय ग्रेडिंग में होने वाले खर्च में कटौती करने के लिए जालंधर पोटैटो ग्रोवर्स असोसिएशन अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले ग्रेडिंग मशीन लगाने को तैयार है और इस उद्देश्य से उसने हॉलैंड स्थित ऑलराउंड न्यू-टेक कंपनी से संपर्क भी साधा है।
मशीन का प्रदर्शन देखने के बाद असोसिएशन के महासचिव जसविंदर सिंह संघा ने कहा, ‘फिलहाल आलू की ग्रेडिंग खेतों में साधारणतया हाथों से की जाती है, उन्हें जूट के थैलों में भरकर ट्रकों के माध्यम से कोल्ड स्टोर तक पहुंचाया जाता है। लेकिन ग्रेडिंग मशीन लगाने से केवल ग्रेडिंग की लागत ही कम नहीं होगी बल्कि इससे सही ग्रेडिंग भी संभव हो सकेगी। मशीन से प्रति किलोग्राम ग्रेडिंग पर एक रुपये की लागत आती है।’
संघा ने कहा कि यह मशीन एक घंटे में 10 टन आलू की ग्रेडिंग कर सकता है और इसकी कीमत 16 लाख रुपये है। एग्रीकल्चर प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) की तरफ से कंपनी ने चार लाख रुपये की छूट इन मशीनों पर देना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि असोसिएशन मशीनों के ऑर्डर थोक में देगा इसलिए वे कंपनी से और अधिक छूट देने के लिए बातचीत करेंगे।
ग्रेडिंग मशीनों को जगह-जगह ले जाया जा सकता है इसलिए आलू के मौसम में इन्हें खेतों में भी लगाया जा सकता है ताकि इनका अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके। किसान खेतों में इस मशीन को लगा कर प्रति सीजन कम से कम दो लाख रुपये की बचत कर सकेंगे।