अगले पेराई सत्र में गन्ना उत्पादन क्षेत्र में 30 फीसदी की भारी कमी होने के अनुमान से उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के लिए मौजूदा सत्र काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
चीनी उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू होने वाले 2008-09 के पेराई सत्र में चीनी मिलों को गन्ने की काफी किल्लत हो सकती है। इससे अगले सत्र में चीनी के उत्पादन में 20 लाख टन तक की जबरदस्त गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना और दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। 2007-08 के पेराई सत्र में राज्य के 25 लाख हेक्टेयर जमीन में गन्ने की खेती की गई। एक आकलन के मुताबिक, राज्य भर में इसकी खेती से लगभग 40 लाख किसान जुड़े हुए हैं। जबकि यहां मौजूद सभी चीनी मिलों की गन्ने की कुल जरूरत 8 करोड़ टन है।
हालांकि राज्य में गन्ने की उत्पादकता में खासा सुधार हुआ है पर इसके रकबे में 30 फीसदी की जबरदस्त कमी होने के अनुमान के मद्देनजर चीनी मिलों के माथे पर बल पड़ रहे हैं कि वह किस तरह अगले सत्र में अपनी मिलों के लिए गन्ने का जुगाड़ करे। अधिकारियों के अनुसार, इस साल गन्ने के उत्पादन क्षेत्र का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण किया जा रहा है जिसके 20 जून तक पूरा हो जाने का अनुमान है। इस सर्वे के पूरा हो जाने के बाद ही कुल रकबे के बारे में कुछ भी निश्चित रूप में कहा जा सकेगा।
जानकारों के मुताबिक, गन्ने के रकबे में जबरदस्त कमी होने के कई कारण हैं जिनमें फसल का देर से लगाया जाना और कीमत को लेकर पिछले दो सालों से गन्ना किसानों और चीनी मिलों के बीच चल रहा टकराव है। गन्ना विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले दो सालों में अनाज की कीमत में रेकॉर्ड तेजी आने से किसानों ने अधिक मुनाफे की चाहत में गन्ने की बजाय अनाज पैदा करने को अपनी प्राथमिकता दी है।
एक साल में चूंकि गन्ने की एक ही फसल उगायी जा सकती है पर इस दौरान अनाजों की दो से तीन फसल हासिल की जा सकती है। यही नहीं कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से फसल चक्र में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इससे भी गन्ने के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा है।
हालांकि बलरामपुर चीनी मिल के अधिकारियों के मुताबिक इस साल बेहतर मानसून के रहने से गन्ने की उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इस वजह से गन्ने के उत्पादन में वास्तविक कमी 15 फीसदी की ही होगी। उनके अनुसार, चीनी की अच्छी मांग के बावजूद स्थितियां ऐसी नहीं हैं कि इसके उत्पादन को बढ़ाया जा सके।
मालूम हो कि रिजर्वेशन ऑर्डर के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश गन्ना आयुक्त के एक आदेश के तहत राज्य के किसानों को किसी न किसी चीनी मिल को अपने उत्पाद की आपूर्ति करने के लिए बाध्य किया गया है। इस साल चीनी के कुल उत्पादन में पिछले साल के 85 लाख टन की तुलना में गिरावट आयी है और यह केवल 73 लाख टन रह गया है।
हालांकि चीनी की रिकवरी में इस साल सुधार हुआ है और यह पिछले साल के 9.47 फीसदी की बनिस्पत 9.79 फीसदी हो गया है। वैसे इस साल राज्य के मिलों ने पिछले साल के 8.95 करोड़ टन की तुलना में 7.45 करोड़ टन गन्ने की पेराई की है। राज्य में अभी कुल 132 चीनी मिलें हैं।