केंद्र सरकार ने देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से को आज पेश किया। यह जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने और हरित ऊर्जा (पर्यावरण अनुकूल ईंधन) को बढ़ावा देने की सरकार की योजना के अनुरूप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा की थी कि देश में जल्द ही राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू किया जाएगा।
इस नीति को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया है जिसमें हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए कई तरह के प्रोत्साहन के उपाय किए गए हैं। मंत्रालय ने देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन के लिए विनिर्माण जोन स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। इसमें कहा गया है कि निर्यात के मकसद से बंदरगाहों के समीप हरित अमोनिया के भंडारण के लिए बंकर बनाने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए संबंधित बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा लागू शुल्क पर जमीन मुहैया कराने का प्रस्ताव है।
नई पीढ़ी के इस ईंधन के दाम को प्रतिस्पर्धी रखने के मकसद से नीति दस्तावेज में कहा गया है कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कुल मांग के आधार पर निविदा जारी करेगा। हरित हाइड्रोजन की मांग उर्वरक, इस्पात और तेलशोधक क्षेत्रों में होती है और उन्हें निविदा के जरिये यह ईंधन मुहैया कराया जाएगा। हरित ईंधन की लागत को कम करने के लिए उत्पादकों को 25 साल तक अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क में छूट दी जाएगी। ग्रिड कनेक्टिविटी में भी उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
