केंद्र ने मार्च 2024 तक लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) के माध्यम से 3.75 करोड़ टन फोर्टीफाइड (पोषक तत्व युक्त) चावल वितरित करने की योजना बनाई है, जो वर्ष 2020-21 की खाद्यान्न वितरण योजना के अनुसार सरकार द्वारा आवंटित चावल की संपूर्ण मात्रा के बराबर है। पिछले सप्ताह संसद में दिए गए एक उत्तर के अनुसार वर्ष 2021-22 में केंद्र ने एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम-पोषण) के माध्यम से 35 लाख टन फोर्र्टीफाइड चावल वितरित करने की योजना बनाई है, जिसे मार्च 2023 तक बढ़ाकर 1.75 करोड़ तक कर दिया जाएगा ताकि आईसीडीएस और पीएम-पोशन योजनाओं के साथ 291 महत्त्वाकांक्षी जिलों को शामिल किया जा सके। इसलिए मार्च 2024 तक देश में पूरी टीपीडीएस और ओडब्ल्यूएस को फोर्टीफाइड चावल के दायरे में ले लिया जाएगा। आवश्यक पोषक तत्वों वाले फोर्टीफाइड चावल की शुरुआत प्रायोगिक आधार पर तीन साल के लिए वर्ष 2019-20 में 174.64 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ की गई थी। इस प्रायोगिक योजना में 15 राज्यों के 15 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, हर राज्य में एक जिले के साथ।
हालांकि केंद्र सरकार बच्चों और वयस्कों में कुपोषण से लडऩे में एक प्रभावी तरीके के रूप में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए चावल की पौष्टिकता का प्रचार कर रही है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक गलत तरीका है और फिजूलखर्ची है। कुछ महीने पहले करीब 18 क्षेत्रीय विशेषज्ञों ने तर्क दिया था कि चावल की पौष्टिकता के कार्यक्रम में पोषण संबंधी दिक्कतों पर ध्यान देने के मामले में संतुलित और विविधतापूर्ण आहार की केंद्रीय भूमिका की अनदेखी की गई है। इस कार्यक्रम के साथ आगे चलकर अत्यधिक सावधानी की वकालत करते हुए लेखकों ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान की पोषक तत्वों की नई सिफारिशें बताती हैं कि विविध प्राकृतिक आहार लोगों की सामान्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है।
