कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि के अनुमानों के बीच मलयेशिया में पाम तेल के वायदा भाव में मजबूती आयी है।
हालांकि अभी भी कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आनी जारी है पर फिर भी यह साल भर पहले की तुलना में 86 फीसदी ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि होने से वैकल्पिक तेल की मांग में वृद्धि हो जाती है। इससे पाम तेल और उसके मुख्य विकल्प सोयाबीन तेल के भाव में भी प्राय: तेजी आ जाती है।
मलयेशिया के एक विश्लेषक ओंग ची टिंग ने क्वालालंपुर में बताया कि खतरा यह है कि यदि इसी तरह कच्चे तेल की कीमत में कमी आती रहेगी तो कच्चा तेल का बुलबुला एक दिन जरूर फूट जाएगा और तब दूसरे जिंस उत्पाद भी इस प्रवृत्ति का अनुसरण करेंगे।
उनके मुताबिक, यदि मुद्रास्फीति की दर इसी तरह ऊंची बनी रही तो सरकार को अपनी बायोफ्यूल नीति को निलंबित करना पड़ सकता है। मलयेशिया डैरिटेव्स एक्सचेंज में अगस्त डिलिवरी के लिए पाम तेल का वायदा भाव 1.5 फीसदी बढ़कर 1.071 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया। पिछले साल भर में पाम तेल की कीमत में इस प्रकार 22 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।
वहीं न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में जुलाई डिलिवरी के लिए कच्चे तेल का भाव 0.6 फीसदी तक लुढ़क गया और यह 122.09 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। ओंग ने कहा कि पाम तेल या तो इसी स्तर पर टिका रहेगा या इससे नीचे ही गिरेगा। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कच्चे तेल की कीमत में कितनी गिरावट आती है।
बायोफ्यूल्स से इतर पाम तेल की बात करें तो ठंडी की तुलना में गर्मी में चीन में पाम तेल की मांग बढ़ जाती है। जानकारों के मुताबिक, जून से अगस्त के बीच चीन में पाम तेल के होने वाले आयात में तेजी आ जाती है। इस साल के पहले 4 महीने में चीन में 29 लाख टन खाद्य तेल का आयात हुआ है, जबकि पाम तेल की हिस्सेदारी इसमें 56 फीसदी की है।
2007 की तुलना में वहां होने वाले वनस्पति तेल के आयात में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है। अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन इस साल केवल 69 प्रतिशत रहा।