विश्व के सबसे बड़े खाद्य तेल आपूर्तिकर्ता इंडोनेशिया से प्रचुर आपूर्ति के चलते घरेलू बाजार में पाम तेल की बिक्री मलयेशियाई से 1.5 रुपये प्रति किलो कम पर हो रही है।
इंडोनेशिया से आने वाले पाम तेल का मूल्य भारतीय बंदरगाहों पर सारे खर्चों (लागत, बीमा और किराया) सहित जहां 347 रुपये प्रति 10 किलोग्राम बैठ रहा है, वहीं यहां के बाजारों में इतनी मात्रा के लिए ही केवल 332 रुपये चुकाना पर रहा है। कारोबारियों के अनुसार, अटकलें लगाई जा रही थी कि केंद्र सरकार बहुत जल्द पाम तेल के आयात पर शुल्क थोप देगी।
लिहाजा भारतीय कारोबारियों ने बड़े पैमाने पर पाम तेल का आयात कर लिया। ऐसे में घरेलू बाजार में इसकी बहुतायत हो गई है। गौरतलब है कि तेल उद्योग की कई शीर्ष संस्थाएं किसानों के हितपोषण के लिए सोयाबीन तेल की ही तरह पाम और सूरजमुखी तेल के आयात पर 30 फीसदी आयात कर लगाने की मांग कर रही हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता के मुताबिक, ”यदि हम चाहते हैं कि हमारे किसानों का हित सुरक्षित रहे तो हमें पाम तेल के आयात पर शुल्क लगाना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो कम कीमत के चलते किसान दूसरी फसलों का रुख कर सकते हैं। ऐसे में खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी।”
मेहता ने स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एसटीसी) और नैशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नैफेड) से कहा है कि जब खाद्य तेल की कीमतें काफी नीचे चली जाए या इसमें काफी उछाल आ जाए तो कीमतों पर नियंत्रण के लिए उन्हें बाजार में दखल देना चाहिए।
मुंबई के एक खाद्य तेल कारोबारी ने बताया कि न केवल देश में तैयार खाद्य तेलों की बिक्री कम कीमत पर हो रही है, बल्कि आयातित खाद्य तेल भी कम कीमत पर बिक रहे हैं। कारोबारियों को भय है कि जिंस की वैश्विक कीमतों में आगे और कमी होगी।
उल्लेखनीय है कि एक महीना पहले बुर्सा मलयेशियाई डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में कच्चे पाम तेल की कीमतें 2,300 रिंगिट से बढ़ता देख कई कारोबारियों ने खूब खरीदारी की। इससे पहले उत्पादन अधिक होने से पाम तेल की कीमत 1,800 रिंगिट तक लुढ़क गई थी।
जर्मन पत्रिका ऑयलवर्ल्ड के ताजा अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में पाम तेल के कुल उत्पादन में 13 फीसदी की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
अक्टूबर 2007 से सितंबर 2008 के सीजन में पाम तेल का कुल वैश्विक उत्पादन बढ़कर 49 लाख टन हो गया है। इसके चलते पाम तेल का कुल भंडार नवंबर 2008 में बढ़कर 70 लाख टन तक पहुंच गया।
बुर्सा मलयेशियाई डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में मार्च महीने का पाम तेल अनुबंध 5.57 फीसदी उछलकर 531 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया। 15 अक्टूबर के बाद पाम तेल की यह सबसे ऊंची कीमत है। फिलहाल पाम तेल की कीमत घटने की दर में कमी हो गई है।
ऑयल वर्ल्ड के कार्यकारी संपादक थॉमस मिल्के के ताजा अनुमान के अनुसार, 2009 की पहली छमाही में कच्चे पाम तेल में 33 फीसदी की वृद्धि हो सकती है और कीमतें 660 डॉलर प्रति टन तक जा सकती है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, मलयेशिया और इंडोनेशिया का दिसंबर महीने का निर्यात अब तक के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया।
नवंबर की तुलना में दिसंबर में मलयेशियाई पाम तेल के निर्यात में 22.2 फीसदी का उछाल आया। दिसंबर में मलयेशिया का निर्यात 16,42,340 टन तक पहुंच गया।
इस बीच 30 दिसंबर को जकार्ता में पाम तेल रिफाइनरों ने खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले आरबीडी (रिफांइड, ब्लीच्ड और डियोडराइज्ड) पाम तेल की कीमत 6,100 रुपय्या से बढ़कर 6,500 रुपय्या हो गई।
अनुमान है कि भारत में मौजूदा खरीफ सीजन में तिलहन का उत्पादन 1.65 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा। पूर्वानुमान है कि रबी सीजन में तिलहन का उत्पादन भी 1 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा रबी सीजन में तिलहन का रकबा पिछले सीजन के 76.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 83.75 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।