केंद्र सरकार ने आज भरोसा जताया है कि प्याज और आवश्यक जिंस जैसे खाद्य तेलों की कीमत में अगले कुछ सप्ताह में कमी आएगी और इससे त्योहारों के दौरान ग्राहकों को बहुप्रतीक्षित राहत मिलेगी।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि प्याज की नई फसल जल्द ही बाजार में आनी शुरू हो जाएगी, जिसकी वजह से बढ़ी कीमतों पर लगाम लगेगी। वहीं खाद्य तेल के मामले में राज्य अगले सप्ताह स्टॉक सीमा लगाना शुरू कर देंगे, और शुल्क में कमी भी अपना असर दिखाना शुरू कर देगा, इसकी वजह से ग्राहकों को राहत मिलेगी।
पांडेय ने कहा, ‘खाद्य तेल के दाम पहले ही कम होने शुरू हो गए हैं और एक बार जब नई आयातित खेप आ जाएगी, कीमतें और गिरेंगी।’
केंद्र सरकार का अनुमान है कि खरीफ सत्र में प्याज का उत्पादन 43.8 लाख टन रहेगा, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 17 प्रतिशत ज्यादा होगा।
पांडेय ने प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रतिबंध की संभावना खारिज की और कहा कि कीमतें अभी सीमा से अधिक नहीं हुई हैं और इसके दाम में आगे और कमी लाए जाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली में अक्टूबर की शुरुआत से अब तक खुदरा बाजार में कीमतों में करीब 45 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। देर से हुई भारी बारिश के कारण बड़े प्याज उत्पादक राज्यों में खड़ी फसल खराब होने की संभावना को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
बहरहाल केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बुआई वाले क्षेत्र के करीब 15 प्रतिशत रकबे में फसल को हाल की बारिश से नुकसान पहुंचा है।
पांडेय ने कहा कि 21 अक्टूबर को प्याज के औसत दाम 41.5 रुपये प्रति किलो थे, जो एक साल पहले के 55.6 रुपये प्रतिकिलो की तुलना में बहुत कम है।
उन्होंने कहा कि बफर स्टॉक से पहले ही 81,000 टन से ज्यादा प्याज बाजार में भेजा जा चुका है, जहां दाम में तेज बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे कि उपलब्धता सुधर सके और कीमतों पर नियंत्रण लग सके। 2 लाख टन रिकॉर्ड बफर स्टॉक सरकार ने बनाया था, जिसमें से अभी भी बाजार में भेजने के लिए एक लाख टन मौजूद है।
केंद्र सरकार स्टॉक के प्याज 21 रुपये किलो के भाव भंडारण स्थर पर दे रही है, जबकि दिल्ली के मदर डेरी के सफल आउटलेट पर 26 रुपये किलो मिल रहा है।
खाद्य तेल के बारे में पांडेय ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान खुदरा कीमतों में गिरावट आई है, जो वैश्विक गिरावट से तेज है और इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार द्वारा बुनियादी सीमा शुल्क कम किए जाने और राज्यों को स्टॉक सीमा तय करने के अधिकार देने के परिणाम आने लगे हैं।