अमेरिका और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष बातचीत बहाल होने से पहले मंगलवार को कच्चा तेल फिसलकर करीब 92 डॉलर पर आ गया। इस बातचीत से परमाणु करार बहाल हो सकता है, जिससे ओपेक के उत्पादक देशों की तरफ से और तेल निर्यात की इजाजत मिल सकती है। इस करार से इरान की तरफ से रोजाना 10 लाख बैरल तेल बाजार में आ सकता है, जो वैश्विक आपूर्ति का करीब एक फीसदी है। परमाणु करार पर बातचीत वियेना में मंगलवार को बहाल होगी।
एवाट्रेड के मुख्य बाजार विश्लेषक नईम अस्लम ने कहा, अगर ईरान के खिलाफ पाबंदी हटती है तो वैश्विक तेल आपूर्ति को काफी सहारा मिल सकता है।
ब्रेंट क्रूड 73 सेंंट यानी 0.8 फीसदी घटकर 91.96 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो सोमवार को सात साल के उच्चस्तर 94 डॉलर पर पहुंच गया था।
यूएस वेस्ट टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 52 सेंट फिसलकर 90.8 डॉलर का रह गया। दोनों ही बेंचमार्क को इस साल तेल की बढ़ती मांग, रूस-यूक्रेन तनाव, लीबिया जैसे उत्पादकों की तरफ से आपूर्ति के अवरोध और ओपक व उसकी सहायक की तरफ से 2020 के रिकॉर्ड उत्पादन कटौती में धीमी नरमी से सहारा मिला है।
मंगलवार को तेल की कीमतों पर फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों की टिप्पणी का असर पड़ा, जिन्होंंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन संग उनकी बैठक से यूक्रेन संकट को गहराने से रोकने में मदद मिली है।
