मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश में खाद्य तेल का बहुत ज्यादा आयात नहीं करना होगा।
यह जानकारी केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) ने दी है। हालांकि, संगठन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान खरीफ तेल में करीब दो लाख टन की कमी का अनुमान है।
सीओओआईटी के अनुसार, भारत ने 2007-08 के तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में करीब 59 लाख टन वनस्पति तेल का आयात किया।
इसमें 52 लाख टन खाद्य तेल, 6.5 लाख टन अखाद्य तेल और 50 हजार टन वनस्पति तेल शामिल हैं। संगठन ने अनुमान व्यक्त किया है कि मौजूदा खरीफ सीजन में तेल की उपलब्धता करीब दो लाख टन घटकर 55.7 लाख टन रह जाएगी। मालूम हो कि पिछले खरीफ सीजन में करीब 58 लाख टन तेल का उत्पादन हुआ था।
यह पूछने पर कि क्या इससे कूकिंग तेल के आयात में वृध्दि होगी, सीओओआईटी अध्यक्ष दविश जैन ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता। क्योंकि अनुमान जताया गया है कि चालू रबी सत्र में सरसों का क्षेत्रफल बढ़ा है। जैन ने कहा कि वर्ष 2008-09 के लिए कुल आयात का पता अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में रबी फसल के आने के बाद ही चलेगा।
जैन ने कहा कि तिलहन की खरीफ फसल से तेल की उपलब्धता बहुत ज्यादा कम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल में जो भी कमी होगी, उसकी भरपाई रबी फसल से हो जाएगी। कृषि मंत्रालय के अनुसार, सरसों का रकबा चालू रबी सत्र में छह नवंबर तक 46.70 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 31.48 लाख हेक्टेयर था।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसके रकबे में वृद्धि की खबर है। मलयेशिया और इंडोनेशिया से देश में पाम समूह के तेलों का आयात होता है जबकि अर्जेंटीना और ब्राजील से सोया तेल का आयात होता है।
उल्लेखनीय है कि कम उत्पादन के चलते भारत अपनी खाद्य तेल जरूरत का करीब 50 फीसदी आयात करता है। सीओओआईटी के अनुसार वर्ष 2008-09 में 45.2 लाख टन मूंगफली उत्पादन में से केवल 12.6 लाख टन पेराई के लिए उपलब्ध होंगे।
इसके चलते करीब 5 लाख टन मूंगफली तेल उपलब्ध होंगे जबकि पिछले साल देश में करीब 7.2 लाख टन मूंगफली तेल का उत्पादन हुआ था। सोयाबीन उत्पादन भी 94.6 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 98.9 लाख टन होने से अनुमान है कि घरेलू स्तर पर करीब 14.9 लाख टन सोयाबीन तेल का उत्पादन होगा।
इस बीच सीओओआईटी का कहना है कि गुजरात में इस वर्ष मूंगफली उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन आंध्र प्रदेश में उत्पादन में करीब 33 प्रतिशत की कमी होगी। मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में वृध्दि की उम्मीद है जो महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति करेगा।