इस बार के रेल बजट में तेल विपणन कंपनियों को राहत देने के मकसद से माल भाड़े में कटौती की गई है, लेकिन भाड़े में इस कटौती का सीमेंट उद्योग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बजट में सीमेंट और इस्पात उद्योगों के लिए माल भाड़े में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि वैगन और कोच आदि में स्टील की मांग बढ़ेगी, इससे इस्पात निरर््माता कंपनियों को लाभ होगा। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल के माल भाड़े में पांच फीसदी की कटौती होने से देश की बड़ी पेट्रोलियम उत्पादों की मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (आईओसी) को सालाना करीब 19 से 20 करोड़ रुपये का फायदा होगा। माल भाड़े में इस कटौती से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), दोनों को आईओसी से कहीं ज्यादा लाभ होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों कंपनियां देशभर में अपने उत्पादों को पहुंचाने के लिए रेल का ही उपयोग करते हैं। एचपीसीएल को इससे 38 करोड़ सालाना, जबकि बीपीसीएल को 32 से 35 करोड़ रुपये सालाना का फायदा होगा। माल भाड़े में कटौती की घोषणा होते ही बंबई स्टॉक एक्सचेंज में आईओसी के शेयरों में कल के मुकाबले 4.17 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया और यह 550.90 रुपये पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि माल भाड़े में की गई इस कटौती से रोडवेज के राजस्व पर थोड़ा असर पड़ सकता है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल के माल भाड़े में 5 फीसदी की काटौती की गई है, साथ ही अन्य वस्तुओं के माल भाड़े में भी इस बार रेलमंत्री ने कटौती की घोषणा की है। उधर, रेलवे के प्रथम श्रेणी वातानुकूलित और द्वितीय श्रेणी वातानुकूलित के यात्री किराए में भी 4 से 7 फीसदी की कटौती की गई है, जिससे कम किराए वाली एयरलाइंसों पर थोड़ा असर पड़ सकता है।
सीमेंट उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के भाड़े में की गई कटौती का सीमेंट उद्योगों को खास फायदा नहीं होगा। सीमेंट मैन्यूफैक्चर्स एसोशिएसन के कार्यकारी अध्यक्ष व श्री सीमेंट के निदेशक एचएम बांगर का कहना है कि कच्चे माल के भाड़े में की गई 14 फीसदी की कटौती से सीमेंट उद्योगों को फिलहाल लाभ नहीं होगा, क्योंकि सीमेंट उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की ढुलाई रेल से बहुत कम मात्रा में होती है। हां, लंबे समय में इसका असर पड़ सकता है, जब सीमेंट निर्माता कंपनियां अपने कच्चे माल की ढुलाई काफी मात्रा में रेल से करने लगेंगे। बांगर ने यह भी बताया कि डीजल माल भाड़े में की गई कटौती से सीमेंट उद्योग को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हो सकता है। देश के प्रमुख सीमेंट निर्माता जयप्रकाश एसोसिएट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीमेंट) राहुल कुमार ने बताया कि सीमेंट कंपनियां अपने कच्चे माल की बहुत कम मात्रा में रेल से ढुलाई करती हैं। दरअसल, उन्हें सड़क मार्ग से ही कच्चे माल की ढुलाई में सहूलियत होती है। वैसे भी, रेलवे की ओर से माल भाड़े में उतनी कटौती नहीं की गई है कि सीमेंट कंपनियां सड़क मार्ग को छोड़कर रेल से कच्चे माल की ढुलाई के लिए आकर्षित हों।
इस्पात निर्माता कंपनियों को भविष्य में फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि रेल कोच और वैगन के लिए स्टील की काफी मात्रा में जरूरत होगी। दरअसल, रेलवे ने फैसला किया है कि 20.3 टन वाले बीससीएन और बीओएक्सएन एक्सल भार वाले वैगन का निर्माण बंद कर देगी और उसकी जगह केवल 22.9 टन वाले वैगन का निर्माण करेगी, इससे स्टील की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे स्टील निर्माता कंपनियों को फायदा होगा। एस्सार स्टील होल्डिंग्स के सीईओ जे. मेहरा के मुताबिक, नई रेल लाइनों के निर्माण और 20,000 नए वैगन के निर्माण की योजना से भारतीय इस्पात उद्योग को काफी फायदा पहुंचेगा।
