जल्द ही देश में जिंसों के भविष्य व विकल्प से जुड़ा सूचकांक जारी किया जाएगा।
इस प्रकार के सूचकांक को जारी करने के लिए नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड ने पूरी तैयारी कर ली है।उम्मीद है इस साल से जिंसों के भविष्य संबंधी सूचकांक को जारी करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।इस सूचकांक में बाजार में सक्रिय जिंसों को शामिल करने की योजना है। इनमें मौसम, प्राकृतिक गैस व कोयले को भी शामिल किया जाएगा।
एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक पीएच रविकुमार ने मुंबई में दिए एक साक्षात्कार में बताया कि इस सूचकांक के जरिए वायदा कपास, स्टील व चीनी के मूल्यों को लेकर कारोबारियों को दांव लगाने की इजाजत दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत चावल, चीनी व गेहूं के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसी तरह सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी भारत है। गत महीने ही देश में इस प्रकार के भविष्य सूचकांक के लिए इजाजत दी गई है। उनके मुताबिक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच सर्राफा ने अपनी बढ़त खो दी है। लिहाजा वे इस प्रकार के सूचकांक की शुरुआत करना चाहते हैं।
रविकुमार कहते हैं, ‘इस सूचकांक को लेकर निवेशकों के बीच खासा उत्साह होगा। अब हम कृषि से जुड़े जिंसों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि जिंस के सूचकांक से हमारे व्यापार को काफी मजबूती मिलेगी।’
वैश्विक निवेश
भारत ने आठ फरवरी को 50 से अधिक जिंसों के वायदा कारोबार के लिए निवेशकों को अनुमति दी। इनमें सोना, चीनी, कॉफी व कपास भी शामिल थे। यहां विकल्प का मतलब एक ऐसे अनुबंध से है जिसके तहत किसी कारोबारी को यह अधिकार होता है कि वह एक तय समय सीमा में एक तय राशि से तय प्रतिभूति की खरीदारी करे। लेकिन ऐसा करने के लिए वह कारोबारी बाध्य नहीं होता है।
बारक्लेस कैपिटल के मुताबिक जिंसों के बीच वैश्विक निवेश में गत साल के मुकाबले 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बार्सिलोना में आयोजित निवेशकों के एक कांफ्रैंस में 34 फीसदी फंड मैनेजर ने कहा कि आगामी तीन सालों में वह जिंस के बीच 10 फीसदी का अधिक कारोबार करने की योजना बना रहे हैं। रविकुमार ने बताया कि नेशनल एक्सचेंज पहली बार जिस सूचकांक को जारी करेगा उनमें सबसे अधिक कारोबार किए जाने वाले 20 जिंसों को शामिल किया जाएगा।
इनमें चीनी, सोयाबीन जैसे जिंस भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि बारिश के सूचकांक से कंपनियों व किसानों को अपनी फसल को सूखा से बचाने में काफी मदद मिलेगी। बारिश के सूचकांक के लिए 350 मौसम स्टेशन से आंकड़ें एकत्रित किए जाएंगे।
अच्छी बारिश
रविकुमार कहते हैं कि अच्छी बारिश का मतलब होता है अच्छी फसल व बारिश में कमी का मतलब होता है उपज में कमी। ऐसे में बारिश से जुड़े सूचकांक को जारी करने से किसान व निवेशकों को काफी सहायता मिलेगी। जून से लेकर सितंबर के बीच होने वाली बारिश देश के 234 मिलियन किसानों के लिए काफी मायने रखती है क्योंकि इस दौरान चावल, सोयाबीन व मूंगफली की खेती की जाती है।
ऐसे में अगर कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी होती है तो इससे गांव में रह रहे 70 करोड़ लोगों की आय में बढ़ोतरी होगी। और उनकी आय बढ़ने से देश में अन्य उत्पादों की मांग में भी बढ़ोतरी होगी।