मंहगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने वनस्पति तेलों के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कटौती कर दी है।
सरकार ने कई प्रकार के खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कटौती की घोषणा की है। साथ ही कई किस्म के चावल के आयात पर लगने वाले शुल्कों में भी कमी करने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक सरकार का यह फैसला 20-21 मार्च की आधी रात से ही लागू माना जाएगा। साथ ही हाथ से तैयार व मिल में तैयार चावलों के आयात शुल्क में की गई कटौती 31 मार्च, 2009 तक प्रभावी होगी।
बीते कुछ महीनों से खाद्य तेलों के दामों में काफी तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बीते दिनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजर में कुछ किस्म के तेलों में काफी उछाल देखा गया। वित्त मंत्रालय के मुताबिक कच्चे पामऑयल की कीमत में काफी तेजी दर्ज की गई है। वर्ष 2007 के अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में पामऑयल की कीमत प्रति मिट्रीक टन 770 डॉलर थी जो इस साल के जनवरी महीने में बढ़कर प्रति मिट्रीक टन 1220 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई।
इस दौरान इस तेल की कीमत में 58 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी के तेल में भी जबरदस्त उछाल देखा गया है। इस तेल के दाम में 79 फीसदी की बढ़त देखी गई है। इसकी कीमत प्रति टन 947 डॉलर से बढ़कर प्रति टन 1695 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। इसी तरीके से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चावल के दामों में भारी उछाल आया है। छह महीनों के दौरान चावल की कीमत में 37 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
छह महीने के भीतर चावल की कीमत प्रति क्विंटल 430 डॉलर से पहुंचकर 590 डॉलर प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान चावल के घरेलू दामों में भी बढ़त देखी गई है। दिल्ली के बाजार में इसकी कीमत में 3 रुपये प्रतिकिलो का इजाफा देखा गया है। जिस चावल की कीमत 15 रुपये प्रतिकिलो थी उसकी कीमत अब 18 रुपये प्रतिकिलो हो गई है। बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमत में गिरावट आएगी।
उम्मीद की जा रही है कि इसकी कीमत में प्रतिकिलो 2.5 से 3 रुपये प्रतिकिलो की कमी आएगी। सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता कहते हैं, ‘बढ़ती महंगाई को देखते हुए इस प्रकार के आयात शुल्क में कटौती की उम्मीद पहले से की जा रही थी।’ उद्योगों के मुताबिक घरेलू खाद्य तेलों की खपत में वृध्दि दर्ज की गई है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में सालाना 125 मिलियन टन खाद्य तेलों की खपत है और इनमें से 56.15 मिलियन टन का आयात किया जाता है।
मेहता के मुताबिक इनमें से 80 फीसदी आयात पामऑयल का होता है। आयात शुल्क में कटौती से पहले सरकार ने अभी चार दिन पहले वनस्पति तेलों के निर्यात पर भी एक साल के लिए रोक लगा दी है। मेहता के मुताबिक निर्यात पर रोक के फैसले से इसकी कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। क्योंकि भारत सालाना मात्र 30 से 40 हजार टन खाद्य तेलों का ही आयात करता है। सरकार ने पामऑयल के आयात शुल्क में इससे पहले भी दो बार कटौती कर चुकी है।