बढ़ती महंगाई, चावल-गेहूं के निर्यात पर लगी पाबंदी और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की बाबत उठाए जाने वाले सरकारी कदम पर केंद्रीय खाद्य व आपूर्ति सचिव टी. नंदा कुमार से बातचीत की हमारे संवाददाता अजय मोदी ने।
क्या सरकार चीनी उद्योग से नियंत्रण हटाने की योजना बना रही है?
हां, इस बाबत एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास लंबित पड़ा है। हालांकि यह चरणबध्द तरीकेसे होगा, जिसमें 10 फीसदी की लेवी बाध्यता और महीने के आधार पर चीनी का कोटा जारी करने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि दो चीनी मिलों के बीच 15 किलोमीटर के दायरे को कायम रखा जाएगा और इस पर बाद में विचार किया जाएगा।
सरकार ने इस साल गेहूं की रेकॉर्ड खरीद की है, लेकिन चावल खरीद के मामले में कुछ चिंताएं। आप इसे कैसे देखते हैं?
हमने अब तक 2.64 करोड़ टन चावल की खरीद की है और इस मामले में हमने पिछले साल के रेकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। दस लाख टन चावल ज्यादा खरीदने में कोई समस्या नहीं है और इस तरह हम 2.75 करोड़ टन के चावल खरीद का लक्ष्य पूरा कर लेंगे।
गेहूं की रेकॉर्ड खरीद के बाद क्या ऐसी स्थिति आ गई है जिसमें गेहूं निर्यात पर लगी पाबंदी हटाई जा सके?
नहीं, हमें देखना होगा कि एक ओर जहां गेहूं की सरकारी खरीद में 1.1 करोड़ टन का इजाफा हुआ है, वहीं अगर देश में गेहूं की उपलब्धता की बात करें तो यह पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 25 लाख टन ज्यादा है। इसलिए फिलहाल निर्यात पर लगी पाबंदी नहीं हटाई जा सकती।
गैर बासमती चावल पर लगाई गई पाबंदी हटाने केबारे में आपका क्या विचार है?
अक्टूबर से पहले हम कुछ नहीं करने जा रहे। तभी कुछ किया जाएगा जब फसल उत्पादन का आकलन कर लिया जाएगा।
क्या बाजार में चावल-गेहूं की उपलब्धता बढ़ाए जाने की बाबत कोई प्रस्ताव है?
हम गेहूं की उपलब्धता उन इलाकों में बढ़ाए जाने की योजना पर काम कर रहे हैं, जहां इसकी कीमतें काफी ऊंची हैं। जन वितरण प्रणाली में अतिरिक्त आवंटन के जरिए और खुले बाजार में उपलब्ध कराकर ऐसा किया जा सकता है। चावल के मामले में ऐसा किए जाने की कोई योजना नहीं है।
खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का सबब बनी हुई हैं। इस मामले में उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?
बीपीएल और एपीएल परिवारों को कम कीमत पर पर तेल उपलब्ध कराने के लिए हम प्रक्रिया तय कर रहे हैं। ऐसे हर परिवार हर महीने एक किलो तेल पाने के हकदार होंगे और उन्हें इस पर 15 रुपये की छूट दी जाएगी। राज्य सरकारें इस पर जोर-शोर से काम कर रही हैं और इस महीने के अंत तक इसे लागू कर दिया जाएगा। जब त्योहारों का मौसम शुरू होगा, तब तक हमारे पास पर्याप्त मात्रा में तेल उपलब्ध होगा।
खाद्य तेल स्कीम पर सरकार कितनी रकम खर्च करेगी?
हमारा अनुमान है कि अगले एक साल में इस स्कीम में 10 लाख टन तेल उपभोक्ता को दिए जाएंगे। ऐसे में सरकार को इस पर 1500 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
आने वाले महीने में खाद्यान्न पर महंगाई का कितना असर रहेगा?
खाद्यान्न पर पड़ने वाले महंगाई के असर को काबू में कर लिया जाएगा। फसलों की स्थिति अच्छी है, खाद्यान्न की खरीद भी रेकॉर्ड स्तर पर है, ऐसे में कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है। लेकिन अब यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वे जन वितरण प्रणाली को सुचारू रूप से चला पाने में सक्षम होती हैं।