एक साल से ज्यादा की कोशिशों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि सरकारी चीनी मिलें निजी हाथों में दे पाना संभव नहीं है।
दरअसल, सरकार की ओर से कई बार की कोशिशों के बाद भी सरकारी चीनी मिलों की वाजिब बोली लगाने वाला नहीं मिल सका है। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना फैसला रद्द करने का मन बनाया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून 2007 में सरकारी स्वामित्व वाले राज्य चीनी निगम की खस्ताहाल हो चुकी 33 मिलों को बेचने की योजना बनाई थी। इन मिलों में से 16 तो पूरी तौर बंद हो चुकी हैं, जबकि 17 मिलों को जैसे-तैसे चलाया जा रहा है।
राज्य सरकार के अफसरों के मुताबिक, 33 चीनी मिलों के तय किए गए आरक्षित मूल्य के आस-पास भी किसी निजी समूह ने बोली नहीं लगाई है। राज्य सरकार के तय आरक्षित कीमत 2000 करोड़ रुपये के मुकाबले अब तक सबसे बड़ी बोली 650 करोड़ रुपये की लगी है। यह बोली बरेली-गाजियाबाद के फोंटी चढ्ढा समूह ने लगायी है।